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( १५१ ) ४ मुर्दे को उठानेवाले कांधिया से अड़नेवालों को दो दिन का, मुर्दे को स्मशान में ले जाते समय साथ जानेवालों को यदि वे कांधियाओं से अड़नेवालों से अड़े हों तो एक दिन का सूतक लगता है, भेले न हुए हो तो स्नान कर लेने बाद सूतक नहीं लगता । देशान्तर या ग्रामान्तर से किसी गोत्री के मरने के समाचार आये हों तो एक दिन का सूतक जानना और घर में दास, दासी या नौकर, नौकरानी का मृत्यु हो जाय तो तीन दिन का सूतक समझना, वे अपने खुद के घर में मर जावें तो सूतक नहीं लगता।
५ मृतक के घर जीमनेवालों को बारह दिन का, चार पीढीवालों को ५ दिन का, पांच पीढीवालों को चार दिन का, छः पीढीवालों को दो दिन का, एवं सात पीढीवालों को एक दिन का सूतक लगता है। दूसरे गाँवों से मृतक के घर मुकाणिया जितने दिन जीमे उतने दिन का सूतक जानना, किन्तु बारह दिन होने वाद जीमे तो सूतक नहीं लगता । बारह दिन के अन्दर भी नहीं जीमनेवालों को सूतक लगता नहीं है।
६ जन्मदात्री को पुत्र पुत्री जन्मते ही मर जाय तो बारह दिन का सूतक, तथा जितने महिने का गर्भ गिरे उतने ही दिन का सूतक लगता है। गाय, भैस, उंट घर में मर जाय तो उनको बाहर निकाले बाद एक दिन का सूतक
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