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( १२२ ) जगपति धीगुण फूल अमूल, भक्तिगुणें माला रची। जगपति पूजी पूछे कृष्ण, क्षायक, समकित शिवरुचि ॥ २॥ जगपति चारित्र धर्म अशक्त, रक्त आरंभ परिग्रहे । जगपति मुज आतम उद्धार, कारण तुम बिन कोण कहे ।। ३ ॥ जगपति तुम सरिखो मुज नाथ, माथे गाजे गुणनिलो। जगपनि कोई उपाय बताव, जिम करे शिववधू कन्तलो ॥४॥ नरपति उज्ज्वल मगसिर मास, आराधो एकादशी। नरपति एकसौ ने पचास, कल्याणक तिथि उल्लसो ॥ ५ ॥ नरपति दश क्षेत्रे त्रण काल, चोवीसी तीसे मली। नरपति नेऊ जिनना कल्याण, विवरी कहुं आगल वली ॥ ६॥ नरपति अर दीक्षा नमि नाण, मल्लि जन्म व्रत केवली । नरपति वर्तमान चोवीसी, माहे कल्याणक आवली ॥ ७ ॥ नरपति मौनपणे उपवास, दोढसौ जपमाला गणो। नरपति मन वच काय पवित्र, चरित्र सुणो सुत्रत तणो ॥ ८ ॥ नरपति दाहिण धातकीखंड, पश्चिम दिशि इक्षुकारथी। नरपति विजय पाटण अभिधान, साचो नृप प्रजापालथी॥९॥ नरपति नारी चन्द्रावती तास, चन्द्रमुखी गजगामिनी । नरपति श्रेष्ठी शूर विख्यात, शीलसलिला कामिनी ॥ १० ॥ नरपति पुत्रादिक परिवार, सार भूषण चीवर धरे । नरपति जाये नित्य जिनगेह, नमन स्तवन पूजा करे ॥ ११ ॥ नरपति पोषेपात्र सुपात्र, सामायिक पौषध करे । नरपति देववन्दन आवश्यक, काल वेलाये अनुसरे ॥ १२ ॥
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