SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १११ ) शीतल माधववदि मुगति, कल्याणक तिय काल । जे जे हुआ ते ते नमो, पामो जय उजमाल ॥३॥ ऊर्ज बीज सुदिथी करो, गुणणा दोय हजार । उपदेशी जिनवर अजित, छावीस मासज धार ॥४॥ दुग बन्धन दुग ध्यान तज, भजो दुनय सह नाण । इन्दुकला नित प्रति बढ़े, तिम सूरिभूपेन्द्र प्रमाण ॥५॥ बीजतिथि-जिनस्तुति। सहु दिवस शिरोमणि, बीजतणो दिन होय । सीमन्धर वंदो, शिवसुख साधे सोय ॥ १ ॥ चन्द्र उदय विमाने, वन्दो प्रतिमा चार । शाश्वती जिन भाखी, चार निकाय मशार । बदि मुदिनी बीजे, जे जे जिन कल्याण । ते सवि हुं वन्दु, दोय धरी शुभ झाण ॥ २ ॥ सहु जिनवर भाषे, दोय प्रकारे धर्म । बीज समकित भाख्यो, भव्य लहे तमु मम । दोय भेदे सूत्रनी, रचना करे गणधार । तेहने जे जाणे, सो लहे भवनो पार । नय दोय प्रकाशे, संक्षेपे जिनराज । सूरिराजेन्द्र दाखे, धनमुनि धारण काज ॥३॥ बीजतिथि-स्तवन । (ढाल पहली, ललनानी राह में ) प्रणमुं वीरजिणिन्दने, निज गुरुना नमि पाय भवियाँ। बीजतिथिना गायश्युं, कल्याणक सुखदाय भवियाँ ॥१॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020303
Book TitleDevasia Raia Padikkamana Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherAkhil Bharatiya Rajendra Jain Navyuvak Parishad
Publication Year1964
Total Pages188
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy