SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१०६) क्कमिउं जो मे राइओ अड्यारो०' बोल कर 'चंदितु' सूत्र कहना । फिर दो वांदणा देकर 'इच्छाकारेण अब्भुट्टिओमि अभितर राइअं खामेलं ? इच्छं खामेमि राइअं' पाठ पढ कर दो वांदणा देना । फिर 'आयारिय उवज्झाए०, करेमि भंते० , इच्छामि ठामि०, तस्स उत्तरी०, अन्नत्थ' कह कर तपचिंतवणी का या सोलह नवकार का काउस्सग्ग कर पार कर 'लोगस्स' कहना । फिर बैठ कर छठे आवश्यक की मुहपत्ति पडिलेह कर दो वांदणा देना । बाद में हाथ जोड कर 'सकल तीर्थ वंदु करजोड०' कह कर इच्छा. कारेण पच्चक्खाण कराओजी ? इच्छं' बोल कर यथाशक्ति पच्चक्खाण लेना। फिर 'सामायिक, चव्विसस्थो, वंदण, पडिक्कमण, काउस्सग्ग, पच्चक्खाण कयु छे जी, इच्छामो अणुसहि नमो खमासमणाणं नमोऽर्हत्सि०' कह कर 'विशाललोचनदलं ' पाठ बोल कर ‘नमुत्थुणं' कहना । फिर 'अरिहंतचेइआणं० , अन्नत्थ० कह कर एक नवकार का काउस्सग्ग कर पार कर 'नमोऽहत्सि' कह कर 'कल्लाणकंद' की पहली थुइ कहना फिर 'लोगस्स० सव्वलोए अरिहन्त० अन्नत्थ' बोल कर एक १ स्त्रियों को संसारदावानल का तीन लोक कहना । For Private And Personal Use Only
SR No.020303
Book TitleDevasia Raia Padikkamana Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherAkhil Bharatiya Rajendra Jain Navyuvak Parishad
Publication Year1964
Total Pages188
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy