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( १०५) तामणि' का चैत्यवन्दन 'जय वीयराय०' तक कहना। बाद में भगवान् हं आदि पाठ बोल कर इच्छाकारेण सज्झाय संदिसाउं ? इच्छं' कह कर 'इछाकारेण सज्झाय करूं ? इच्छं कह कर नवकार एक गिनके 'भरहेसर' की सम्झाय बोल के एक नवकार गिनना । बाद में 'इच्छकार०' पूछ कर 'इच्छाकारेण राइअपडिक्कमणे ठाउं ? इच्छं' कह कर जिमना हाथ चरवला या आसन पर थाप कर 'सव्वस्सवि०' का सूत्र कहना ।
फिर 'नमुत्थुणं' कह कर खडे हो ‘करेमि भंते ०, इच्छामि ठामि०, तस्स उत्तरी० अन्नत्थ०, बोल कर एक लोगस्स या चार नवकार का काउस्सग्ग करना । फिर पुक्खरवरदी० सुअस्स भगवओ०, वंदणवत्ति अत्थ०' कह कर दो लोगस्स या आठ नवकार का काउस्सग्ग करना । फिर सिद्धाणं युद्धाणं०' कह कर, बैठकर तीसरा आवश्यक की मुहपत्ति पडिलेह कर दो वांदणा देना । फिर 'इच्छाकारेण. राइअं आलोउं ? इच्छ आलोएमि जो मे राइओ अइयारो कओ०' कह कर सातलाख और अठारह पापस्थान का पाठ बोल कर 'सव्वस्सवि राइअदुञ्चितिअ० ' कह कर जिमना गोठा ऊंचा रख कर एक नवकार कह कर ‘करेमि भंते०, इच्छामि पडि
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