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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (८९) विहं पि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं , अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सन्चसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ । ४४. पोरिसी साढपोरिसी का पच्चक्खाण । उग्गए मरे नमुक्कारसहि पोरिसिं साइडपोरिसिं मुडिसहि पच्चक्खाइ । उग्गए सूरे चउन्विहं पि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साहुवयणेणं महत्तरागारेणं सबसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ । ४५. पुरिमड्ढ अवड्ढ का पच्चक्खाण । मूरे उग्गए पुरिमड्ढं अवड्ढं मुद्विसहि पच्चक्खाइ । चउन्बिई पि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साहुक्यणेणं महत्तरागारेणं सबसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ । ४६. एगासणा का पच्चक्खाण । उग्गए मूरे नमुक्कारसहि पोरिसिं साइढपोरिसिं मुद्धिसहि पच्चक्खाइ । उग्गए सूरे चउन्विहं पि आहारं-असणं पाणं खाइमं साइमं, अन्नथणाभोगेणं सहसागारेणं, पच्छन्न १ पच्चखाण लेनेवाले को सर्वत्र वोसिरह के ठिकाने वोसिरामि' कहना । २ पोरिसि के पच्चखाण में यह पद नहीं बोलना । For Private And Personal Use Only
SR No.020303
Book TitleDevasia Raia Padikkamana Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherAkhil Bharatiya Rajendra Jain Navyuvak Parishad
Publication Year1964
Total Pages188
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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