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(८५)
रेवह कुंती सिवा जयंती अ । रेवती, कुन्ती, शिवा और जयन्ती,
देवह दोवह धारणी-देवकीजी, द्रौपदीजी, धारेणी, कलावई पुष्कचूला य । -- कलावती और पुष्पचूला ॥ १० ॥ पउमावई य गोरी - और पद्मावती १, गौरी २, गंधारी लक्खमणा सुसीमा य । गान्धारी ३, लक्ष्मणा ४, और सुसीमा ५,
जंबूवई सच्चभामा - जम्बूवती ६, सत्यभामाजी ७, रुप्पिणी कण्हड महिसीओ | - रुक्मिणी ८- ये श्रीकृष्ण की आठ पटरानियाँ ॥ ११ ॥
जक्खा य जक्खदिन्ना - और यक्षा, यक्षदत्ता, भूआ तह चेव भूअदिन्ना य-भूता, तथा भूतदत्ता और सेणा वेणा रेणा सेना, वेणा, रेणा,
भइणीओ धूलिभद्दस्स । - स्थूलिभद्रस्वामी की ये सात बहिनें ॥ १२ ॥
इच्चाइ महासईओ-इत्यादि अनेक महासतियाँ जयंति अकलंकसीलकलिआओ । -- निष्कलङ्क, पवित्र और अखंड शीलगुण से युक्त संसार में जयवन्ती हुई है
१ दधिवाहन राजा की पटरानी, दूसरी श्रेणिकपुत्र मेघकुमार की माता ये दो धारणी रानीयाँ हुई हैं ।
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