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[ 137 ] The Commentary ends Fol 11b.
पुष्कर वरदी थुई सिद्धाणां वुद्धाणं वेयावच्चगराणं वुइ नमुत्थुण जावति चेह स्तवन जय वीयराय ॥६२॥ समस्तधर्मविताए करी सुद्धपणइ एनी परिजे साध्वादिक वांदई सदैव देवेंद्रना वृंदकहीइ समुह मोक्ष प्रतइ पांमि सिघ्र कहीइ वहिलो वहिलाते जाव ॥६३॥ COLOPHON OF THE TEXT.
इति श्रीदेववंदनक भाष्य संपूर्ण । COLOPHON OF THE Commentary.
इति श्रीचैत्यवंदनभाष्य संपूर्णः ॥
7565 (III)
TEUTETTATHTC
Pratyākhyānabhāsya
Substance : Countrymade Paper ; Size: 13 in by 3) in ; Foll: 2 ; Ten Lines in a Page ; Character : Jaina Devanagari; Appearance : old : Complete.
The Pratyākhyāna bhāsya, Commentary Pratyākhyāna Sitra. The Ms begins Fol 3b.
भाविअ इयं कोडी। सहियं सुगारग' अणागार। परिमाण निरवसेस। नियंटि संकेय अद्धा य। चउ आहार दुवी सागार दस विगइ विगइ गइ तीस। वावीस भक्ख वत्तीसणंत । भंगा छ सुद्धिफलं ॥२ पजोसवणाइ तव। वेयावच्चाइ हेउमासज्ज । ज कीरइ पुरपच्छा। त' भावि अइयगौं च कमा ॥६ गोस दुगेज तुल्ल' । कीरइ तं जाण कोडि सहियं तु । सागार' तु महत्तरषमुहागारेहि सजुत्तं ॥४ सहसाणु भोगमुत्तु। सेसागारेहि रहियमनगार। दुभिव खवित्ति कतार । गादरो गाइ करणि जु॥५
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