________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 11 डांग. क्रतवर्मा यादवने पिड्या, अने मूछौंगत थइने पृथ्वी उपर पड्या. सता शरीरथी श्र. 48 रुधिरना प्रवाह चाल्यां करेडे, ॥श्लोक // सात्यकीः धर्मपुत्रेणमूर्गचपातितोरणे // अक्रूरश्वतदाराजद्रुपदाद्गत चेतसः // 12 // टिका- अने बळी रणभूमिने विषे ए प्रकारे सात्यकी यादवने धर्मपु। त्रे मूर्गगत्त कर्यो, अने अक्रूरजी ध्रुपद राजाथी हारय पांमी गया. 12 ॥श्लोक॥ अनिरुद्धेनसहसाह्यभिमन्युश्चपीडितः॥तदाशिखंडिनाकानिरणेच पसर्पितः // 13 // टिका- एक यादवोमां अनिरुद्धना सुरपणाथी अभिमन्यु पिडा पाम्यो, तेने जोड़ने शिखंडीए कानिने हाथे पकडीने पगडयो, हेवं दारुणयुद्ध एस मय होतुं हq. ___॥इलोक॥पदातिनोपदातिनिर्वाहैीहाश्यनाशिता : सर्वेतेयादवानीका भूभ्यांपे तुश्चमूर्षिताः॥१४॥ टिका. अने रणने विषे दारुण युद्ध समयमां पगे पाळा युक्त र | थारुढे यादवो नाशि जता हवा. एम केटलाएक यादवो नूमीमां पडेला मूर्छागत | होता हवा. ॥श्लोक॥ बळवायुजयोयुद्धश्रणुत्वंजनमेजय ॥हलंचप्रनुणामुक्तंभीमस्यापरिना। रत // 15 // दीका.हे जन्मेजय ते समयमां बळदेवजीए वायुना पुत्र भीमसेन तेनुं 48 For Private and Personal Use Only