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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir www.kobatirth.org ॥श्लोकातदायुधिष्ठिरोराजाप्रसनोजन्मेजय ॥सर्वतावत्सन्नदाश्चजाताश्चैवपर स्परं // 34 // टीका. एवां झां भीमनां वाक्य सांनळ्यां के युधिष्टिर राजा महा प्रस न थइ जता हवा. अने हे जन्मेजय ते समय सर्वे योद्धाश्रो, पोतपोतानां सस्त्रो सा वचते करी देता हवा. 34 इतिश्रीमहाभारतेडांगवोपाख्याने संग्राम प्रवेशो नाम दशमोऽध्यायः // 10 // इतिश्रीतहीकायां रैक्व कुलोद्भव जयशंकर सुत गंगाधर विरचितायां गामोटगामिनी व्याख्यायां डांगवोपाख्याने रणस्थळ प्रवेशोन्नाम दशमो ऽध्याय : 10 वैशंपायनउवाच॥वैशंपायनमुनि जन्मेजय प्रत्ये बोलता हवा ॥श्लोक॥ पंच जन्यतदाक्रश्नोनिनादोच्चैःसदारणेअन्योन्यंचतदाराजवादिवाणिरणेपुनः॥१॥टीका,हे राजन,ते रणसंग्रामने विशे उंचा स्वरवडे करीने पंच जैन्य शंखनो नाद करता दवा, अने बन्ने तरफां वादिनना घोषो काडरने शुरपणु वधवा सरखा वर्तेछे. 1 ॥श्लोक॥ प्रटत्तोशस्त्रसंपातःरथारोहाश्चभारत॥ रामश्चभीमसेनश्चअन्योन्यत्र तिविव्यथुः॥२॥ टिका. अने हे भारत रथे बेग एवा पोतानां शस्त्र तिक्षण करीने ए। क बिजाने लडवा योग्य निरु धारे छे, ए प्रकारे बळराम अने भीमसेन्य अन्य लढे छे.॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020172
Book TitleDangvopakhyanam
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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