________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir डांग. ॥श्लोक। पुत्रस्यवाक्यमाकर्ण्यनोवाचगरुडद्वजः॥क्रोधेनप्यपमानस्तुप्रोवाचरोहि अ. 39, पीसुतः॥६॥ टिका। पुत्रनां ए प्रकारे वाक्य सांभळीने गरुडद्वजगम खै गया, अने 9 रोहिणीना सुत जे बळनद्रजी ततो प्रद्युम्ननुं अपमान जाणीने महाक्रोधातुर होता हवा. // 6 // बळभद्रउवाच // बळभद्रजी यादवो प्रति बोलता हवा. ॥श्लोक॥ पांडवाश्चमहा बाहोसदासंग्रामभीरवः।कौरवैीडितास्तावदिप्रस्थंसमाश्रिता // 7 // टीका-ओहो पांडवनो छक वधी गयो, अने सदाय शुरापणु बतावेछे, खरुछे ज्यारे एम सत्ता दर्सा वेछे तो, जे समय कौरवोए पिडया ते समयना ईंद्र प्रस्थमां क्यम नाशी पेठाछे. ॥श्लोक॥ ततोभीमोमयायुद्धेयनडांगवरक्षितः॥क्रतवर्माऽवदत्तावन्नकुलोमेटतोयु धि // 8 // टीका-हवे तो बळभद्रजी कहछे महारेज भीम साथे युद्ध करवू, कारण के डॉ गवने राख्यो, एम कहेतांज क्रतवर्मा बोली उठया जे नकुळ साथे हूंज युद्ध करवानोछु | एरीते साम सामी प्रतिकात्रो करी लेछे. श्लोक।सात्याकिनासहदेवोत्रकरणयुधिष्टिरः // नोवाचदेवकिपुत्रोपांडवानांप्रीयोहरिः // 9 // टीका-सात्यकी कहेछे हूं सहदेव साथे लढीश, अक्रूर कहे छे के हुं यु-1 धिष्ठिर साथे लढीश, एम मांहीयो माही बोलेछे पण देवकीना पुत्र जे श्रीक्रष्ण तेतो 39 For Private and Personal Use Only