________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir डाग. भीमना मंदिरमां बेशी रहे छे, विचारयुं के आपणे जो पाछा जइशुं तो सारु अ. 36 नरसु बोलवू पडशे, एटलामां वार लाग्याथी प्रद्युम्न युधिष्टिरने केहे छ, रे तात 8 सहदेव ना आव्या, वखत छे भीम साथे लढा थइ दशे माटे कुंताने मोकलो जेणे करीने भीम झट मानी जाय. 29 ॥युधिष्ठिरउवाच॥ युधिष्टर कुंता प्रति बोलता हवा; ॥श्लोक // गच्छमात यथातथ्यंभीमंतुविनीवारय / / वृष्णीनांपांडवानांचवैरंचैवभविष्यति // 30 // टीकाहे मात तमे जइने जे ते प्रकारे नीमने वारो, जो ए का नहीं माने तो पांडवो अने यादवोने अपार वैर बंधाशे. 30 लोक॥ प्रस्थितापुत्रवचनात्कुंतिभीमस्यमंदिरे दृष्टतोश्चैवपांचालिगतामातरम ब्रवीत् // 31 टीका-सदपुत्रनां वाक्य कुंता माता सांनळीने, भीमना मंदिर प्रत्ये गति करे छे, एटलुंज नहीं पण तेमनी पाछल पाछल द्रौपदी पण प्रवर्ते छे. 31 द्रौपदीउवाच॥ द्रुपदी कुंता माता प्रत्ये बोलतां हवां ; ॥श्लोक। शृणुतांवचनं / मातसुभद्रापुत्रसंयुता डांगवार्थशरीरंचत्यजतिससुतानृपः // 32 // टीका-हे मात तमे जो आग्रह करने वारशो तो सुभद्रा एना पुत्रने लेइने बळी मरशे एवू पण करयुं छे, माटे डांगवर्नु रक्षण करचा विना चाले एम नथी. 32 For Private and Personal Use Only