________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir डाग. ॥युधिष्ठिरउवाच॥ हवे युधिष्ठिर कुंता प्रत्ये शुं बोलता हवा; लोक॥ शृणु अ. 35 देवियथान्यायंदेयोवैडांगवानृपः नकुलंप्रेरयमातीमतुविनिवारयेत्॥२२॥ टीका-हे देवी हे मात पारं यथा न्याय वचन तो ए छे के प्रा डांगव राजाने न राखवो, माटे करीने नकुलने त्यां मोकलो जे भीमने वारिने समजावे. 22 ॥श्लोक॥ एतावदुक्तावचनंनकुलःप्रेरितोनप // आगतोभीमसदनेक्रोधयुक्तंद दर्शतं // 23 // टीका-हे जन्मेजय, ए प्रकारे धर्म राजानां वचन सांनळीने कुंताए नकुलने प्रेरया सता भिम पासे आवे छे तो माहा क्रोधरुप भिमनां लोचन / जोइने अत्यंत भय पामतो हवो. 23 ॥श्लोक॥ मनसिभयमापन्नोनकुलोह्यब्रवीद्वच // नदेयोडांगवोभ्रातर्भत्रिधर्मों विनश्यति // 24 // टीका-नकुळ तो एवो नय पाम्यो के श्रा समय भिमसेन मारो घाट घडी नांखशे एम समजिने एन केहेवू हाये हा करेछे अने केहे छे के हे भ्रात डांगव राजाने क्रष्णने शरण करीए तो श्रापणो क्षविनो धर्म नाश थइ जाय, माटे करीने तेने ना आपवो. 24 ॥श्लोक॥ एतावदुक्तानकुळोभीमपार्थेनिवोशितः प्रद्युम्नोवचनंप्राहधर्मपुत्रं | युधिष्ठिरं // 25 // टीका-एवां वचन नकुळ कहिने भीमसेननी पासे बेसी रेहेतो हवा, 35 For Private and Personal Use Only