________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kailassagarsur Gyanmandie | कुशलिनोपिकृष्णय : द्वारकायांसदाकामयवक्रष्णौसदासुखं // 10 // टीका-हे प्रद्यु- // नजी सर्वे यादवो कुशल छे, देवकीना लाडकवाया क्रष्ण कुशल छे, साचुछे ज्यां ऋष्ण वसे छे त्यां कुशलता क्यम न होय, त्यांतो सदाय सुखाकारी समजुळू. 10 ॥श्लोक। किमेतत्कारणंतातागतस्त्वंनिवेदय भीमस्यवचनं श्रुत्वाप्रत्युवाचरति पतिः॥११॥ टीका-वारु बाप तुं शा कारण माटे श्राव्योछु,ते तुं मने संभळाव्य,एम भीमसेननां वचन सांभळीने रतिपति जे कामदेव तेतो भीमसेन साथे बोलतो हवो.११ प्रद्युम्नउवाच॥ प्रद्यनजी नीमसेन प्रति बोलता हवा ;॥श्लोक। सर्वेकशलिनोसंतिद्वारकायांनराधिप // आगतोऽहंमाहाराजडांगवस्यापिकरणात् // 12 // टीका-हे नराधिप हे भीमसेन, द्वारकामा सर्वेकुशल छे,तमने घणा मान्नथीबोलाव्या छे, अने माहारूं आवागमन तो डांगव राजाना कारणथी थयुं छे. 12 ॥श्लोक॥ श्रीक्रष्णेनचकथितंनघटत्वायुनंदनः // अस्माकंडांगवोचौरोरक्षितो शरणेकथं // 13 // टीका-श्रीकृष्णे कांछे के हे वायु नंदन, तमने बाटलंबधु घटे नहीं, अमारो डांगव चोर छे, तेने तमे क्यम राख्यो छे. 13 ॥श्लोक // उच्चाटयत्वंराजानंक्रष्णस्यापिसुखं भवेत्प्रद्युम्नस्यवचोश्रुत्वाभीमोड नूद्रक्तलोचन H // 11 // टीका-अद्यापि सुधी सघळूय सुख छे, परंतु तमारा कारणथी। For Private and Personal Use Only