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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir || चढवानी ना केहेशे, तो आपण बीजो उपाय करीशं, ते तं भूपति सांभळ्य. 40 ॥श्लोक॥ त्वंचतेतुरगीराजन पुत्रयुक्ताअहंनृप तदादुतवहंसेवेदितिसत्याचमे प्रति H // 41 // टीका-जो कदापि माहरा स्वामि युद्ध करवानी ना केदेश, तोतो ढुं तथा तुं अने ताहारी घोडी एटलुंज नहीं पण माहारा अभिमन्यु सुद्धा अग्नीने नोग आपिशुं, एटले तात्काळ बळी मरीशुं ए माहारी सत्य प्रतिज्ञा छे. 41 ॥श्लोक // तस्यावचनमाकर्ण्यहर्षयुक्तोनराधिपः स्नानंचकारसानारीददादानं गवांनृप // 42 // टीका-एवां वचन झा सुभद्रानां सांभळ्यां के, तात्काळ डांगव | राजा हर्षयुक्त थइ जतो हवो, श्रने सुनद्रा ततो गंगा स्नान करीने ब्राह्मणोने गायोनां दान आपती हवी. 12 ॥श्लोक॥ सहिताडांगवेनापिईंद्रप्रस्थेजगामह // त्वरिताागताराज्ञीभीमसेन स्यवेश्मनि // 43 // टीका-तेथकी अनंतर ते डांगवने साथे लेइने सुभद्रा इंद्रप्रस्थमा आवी, अने पोतानो जे जेठ भीमसेन तेना मंदिरमा प्रवेश करे छे. 43 | इतिश्रीमहाभारतेडांगवोपाख्यानेडांगवसुभद्रासमागमोनामषष्टोऽध्यायः // 6 // इतिश्री तटीकायां रैक कुलोद्भव जयशंकर सुत गंगाधर विरचितायां गामोटगामिनि | व्याख्यायां षष्टोऽध्यायः // 6 // For Private and Personal Use Only
SR No.020172
Book TitleDangvopakhyanam
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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