________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विशे गित नृत्य थइ रह्यांछे, ते पोतानी इंद्रियोने मुनिश्वर देखाडे छे. 28 लोक॥ तत्रसभामहारभ्यामणिस्तंभ शतैरपित्रिंशत्रिकोटयोदेवा, वसवाष्टो | मरुद्गणाः // 29 // टीका-तेथकी अगाडी जतां सना मंडपने विशे मणिस्थंभ रचेली भूमिकामां प्रवेश करतां श्रागळ जुवेछे तो अष्ट वसु मरुद्गण अने तेत्रीस कोटी देव बिराजेला छे. 29 लंता वरुणश्चैवयक्षाश्चनिराश्चाप्सरोगणाः सर्वैश्ववेष्टितोदेवैर्महेंद्रस्वा सनेस्थितः॥३०॥ . टीका-वळि ए सभाने विशे तो वरुण, यक्ष, कीन्नर, अप्सरा, गणो सर्व महेंद्रना आसनने विंटाइने बेठा छे. 30 ॥श्लोक। नृत्यतिवासवस्याग्रेकिंनरावारयोषित : रक्तवस्त्रामनोरम्याहारनपुर संयुता: // 31 // टीका-किन्नर अने वारांगनाश्रो मनोरम्य एवां रक्त वस्त्र अने आभुषणे सुशोभित थश्ने नाना प्रकारना हार कंठने विशे विराजमान थइ रह्या छे, एवां थका ईंद्रना सन्मुख नृत्य करे छे. 31 / ॥श्लोक // दुर्वासाश्वागतस्तस्मिन्स्थानेप्रथमपोलिका द्वारपंप्रतिप्रोवाचशीधे झापयवासवं // 32 // टीका-ते समयमां शंकरना अंश एवा दुर्वासा मुनी प्रथम | पोलने विशे आवीने पोळना रक्षकने कहे छे के हे द्वारपाळ तुं ईंद्रने सुचना करय For Private and Personal Use Only