SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie डांग, क बाण कृष्नने वाग्यो तेणे करीने मूछौंगत होता हवा.१३ 53 ॥श्लोक॥ रथेद्वितीयेआसीनोरोषेणद्वारकापति ॥पंचबाणान्मुमोचाथअर्जुनंप्रति 12 | भारत ॥१५॥॥टिका. ते समय भगवान महाक्रोधे भरायला सता विजा रथमां बेशी ने द्वारकांना पति एवा कृष्ण तेतो अर्जून प्रति पांच वाण मुकेछे.१५ ॥श्लोक॥ एकेनताडितोवाहाप्रेरकोजन्मेजयश्चत्वारोचार्जूनंलग्नाहृदयगतवेतनः 16 // टिका. एक बाण बडे करीने अश्व नाश पामि गया, एक बाण वडे करीने सारथि मूगत थयो, अने च्यार बाण अजूनने वाग्या, तेणे करीने छातिमांधी रुधिर वहेवा मांडयुं, एटलुंज नही पण काजून महाअचेत थइ जतो हवो,१६ ॥श्लोक।वाचदेवकीपुत्रोनमत्वमेनराधिपसचेतोऽनूतदाराजापांडुपुत्रोऽत्रवी द्वचः ॥१७॥टिका अजून जे समय अचेत थयो ते समय कृष्ण कहेछे के, हे राजन्तु जो मने नमे तो श्रा समय तने जिवतो राखु, एम सांनळतांज सचेत थइने कृष्णसा मु भाषण करतो हवो. - अर्जनउवाच॥हवे अर्जुन कृष्ण साथे शुं बोलता हवा.॥श्लोक। वयंचैवतराजा नोक्षत्रिवद्धिनर्धराःनिर्मलोसामवंशश्चकस्मान्मलांछितःक्रतः // 18 // टिका रे कृ / ष्ण ढ तने शाथी नमु, ढुंतो सोमवंशी राजार्छ, महारा कुळने विशे कांइ लांच्छन न 53 For Private and Personal Use Only
SR No.020172
Book TitleDangvopakhyanam
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy