________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
६०
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
चिकित्सा - चन्द्रोदय |
(१६) मदारका १ पत्ता और कालीमिर्च नग २५ - दोनों को पीस-कर गोलमिर्च- समान गोलियाँ बना लो। इनमेंसे सात गोली रोज खानेसे दमा या श्वास रोग आराम हो जाता है ।
( १७ ) आकके पत्ते, वन कपासके पत्ते और कलिहारी तीनोंको सिलपर पीसकर रस निचोड़ लो और जरा गरम करलो । इस रसके कान में डालने से कानका दर्द और कानके कीड़े नाश हो जाते हैं ।
(१८) आके सिरेपरकी नर्म कोंपल एक नग पहले तीन दिन पान में रखकर खाओ। फिर चौथे दिनसे चालीस दिन तक आधी कोंपल या पत्ता नित्य बढ़ाते जाओ। इस उपाय से कैसा ही श्वास रोग हो, नष्ट हो जायगा ।
(१६) आकके पीले-पीले पत्ते जो पेड़ोंसे आप ही गिर गये हों, चुन लाओ। फिर चूना १ तोले और सैंधानोन १ तोले- दोनों को मिलाकर जल के साथ पीस लो। फिर इस पिसी दवाको उन पत्तों पर दोनों ओर ल्हेस दो और पत्तोंको छाया में सूखने दो । जब पत्ते सूख जायँ, उन्हें एक हाँडीमें भर दो और उसका मुख बन्द कर दो । इसके बाद जंगली कण्डोंके बीच में हाँडीको रखकर आग लगा दो और तीन घण्टे तक बराबर आग लगने दो। इसके बाद हाँडीसे दवाको निकाल लो। इसमें से १ रत्ती राख, पान में धरकर, खानेसे दुस्साध्य दमा या श्वास भी आराम हो जाता है ।
(२०) दो रत्ती का खार पानमें रखकर या एक माशे शहद में मिलाकर खाने से दमा -- श्वास आराम हो जाता है । इस दवा से गले और छाती में भरा हुआ कफ भी दूर हो जाता है ।
नोट - अगर ग्राकका चार या खार बनाना हो, तो जंगलसे दश-बीस श्राकके. पेड़ जड़ समेत उखाड़ लाओ और सुखा लो। सूखनेपर उनमें आग लगाकर राख कर लो । फिर पहले लिखी तरकीबसे क्षार बना लो; यानी उस राखको एक बासनमें डालकर, ऊपरसे राखसे दूना जल भरकर घोल दो । ६ घण्टे बाद उसमेंसे पानी नितार लो और राखको फेंक दो। इस पानीको आागपर चढ़ाकर उस वक्
For Private and Personal Use Only