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विष-उपविषोंकी विशेष चिकित्सा - "क" ।
गोलियाँ बना लो । इनमेंसे एक-एक गोली पानी के साथ खानेसे साँप प्रभृति जीवों का विष नष्ट हो जाता है ।
( ११ ) की जड़ और कच्चा नीलाथोथा, दोनों को बराबर-बराबर लेकर पीस छान लो । इसमें से छै छै माशे चूर्ण, साँप के काटे आदमीके दोनों नाक के नथनों में भर दो और फिर एक फूँकनी लगा कर फूँक मारो। ईश्वर चाहेगा, तो फौरन जोरकी क्रय होगी और रोगी व घरमें भला-चङ्गा हो जायगा ।
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नोट - ऊपरके नुसख के साथ नीचे लिखे काम भी करो तो क्या कहना ?
( १ ) शुद्ध जमालगोटा एक मटर-बराबर खिला दो ।
( २ ) सोंजी के बीज घिसकर नेत्रोंमें जो ।
( ३ ) साँपकी काटी जगहपर, एक मोटे-ताज़ चूहेका पेट फाड़कर, पेटकी तरफ से रख दो ।
सुनने मत दो |
( ४ ) बीच-बीचमें प्याज़ खिलाते रहो । (५) सोने मत दो और चक्की की आवाज़ ( १२ ) की जड़को बराबर के अदरख के रस में घोटकर, चने-समान गोलियाँ बना लो। एक-एक गोली, पानी के साथ, थोड़ीथोड़ी देर में देनेसे हैजा नाश हो जाता है।
(१३) मदार के पीले पत्तों को कोयलोंकी आगपर जला लो । - इसमें से ४ रत्ती राख, शहद में मिलाकर, नित्य सवेरे, चाटने से बलग़मी तप, जुकाम, बदहजमी, दर्द और तमाम बलरामी रोग नाश होते हैं ।
(१४) मदार के फूल और पँवाड़के बीज, दोनोंको पीसकर और खट्टे दही में मिलाकर दादोंपर लगानेसे दाद आराम हो जाते हैं । (१५) मदार के हरे पत्ते २० तोले और हल्दी २१ माशे-दोनोंको पीसकर उड़द - समान गोलियाँ बना लो । इनमेंसे चार गोली, पहले दिन ताजा जलसे खाने और दूसरे दिनसे तक, बढ़ा-बढ़ाकर खानेसे जलन्धर रोग नाश हो जाता है ।
एक-एक गोली सात रोज
नोट- पहले दिन चार, दूसरे दिन पाँच, तीसरे दिन छै - बस इसी तरह सातवें दिन दस गोली खानी चाहियें ।
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