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विष-उपविषोंकी विशेष चिकित्सा-"वत्सनाभ"। ४५ (६) शुद्ध शिलाजीतमें शुद्ध सींगिया विष मिलाकर, गो-मूत्रके साथ, सेवन करनेसे पथरी और उदावत रोग नाश हो जाते हैं।
(७) बिजौरे नीबूका रस, बच, ब्राह्मीका रस, घी और शुद्ध सोंगिया विष-इन सबको मिलाकर, अगर बाँझ स्त्री पीवे तो उसके बहुत से पुत्र हों। कहा है
स्वरस बीजपूरस्य बचा ब्राह्मी रसं घृतं ।
बन्ध्या पिवंती सविषं सुपुत्रैः परिवार्यते ॥ (८) दाख, कौंचके बीजोंकी गिरी, बच और शुद्ध सींगिया विष-इन सबको मिलाकर सेवन करनेसे जिसका वीर्य नष्ट हो जाता है, उसके बहुत सा वीर्य पैदा हो जाता है।
(E) काकोदुम्बर या कठूमरकी जड़के काढ़े के साथ शुद्ध सींगिया विष सेवन करनेसे कोढ़ जाता रहता है ।
(१०) पोहकरमूल, पीपर और शुद्ध सींगिया विष- इन तीनोंको गो-मूत्र के साथ पीनेसे शूल-रोग नष्ट हो जाता है।
(११) त्रिफला, सज्जीखार और शुद्ध वत्सनाभ विष--इनको मिलाकर यथोचित अनुपानके साथ सेवन करनेसे गुल्म या गोलेका रोग नाश हो जाता है।
(१२) शुद्ध सींगिया विषको आमलोंके स्वरसकी सात भावनायें दो और सुखा लो। फिर उसे शंखके साथ घिसकर आँखों में आँजो। इससे नेत्रोंका तिमिर-रोग नाश हो जाता है।
(१३) शुद्ध सींगिया विष, हरड़, चीतेकी जड़की छाल, दन्ती, दाख और हल्दी--इनको मिलाकर सेवन करनेसे मूत्रकृच्छ रोग नाश हो जाता है।
(१४) कड़वे तेलमें शुद्ध वत्सनाभ विष पीसकर नस्य लेनेसे पलित रोग और अरु पिका रोग नष्ट हो जाते हैं। ___ नोट-असमयमें बाल सफ़ेद होनेको पलित रोग कहते हैं। कफ, रक्त और कृमि--इनके कोपमें सिरमें जो बहुतसे मुंहवाले और क्लेदयुक्त व्रण होजाते हैं, उनको अरु षिका कहते हैं । नं. १४ नुसख से असमयमें बालोंका सफ़द होना और सिरके अरु षिका नामक व्रण--ये दोनों रोग नष्ट हो जाते हैं।
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