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पराक्रमी होगा। आप इसे मँगाकर, और नहीं तो चार महीने तो सेवन करें। इन चूर्णो के सेवन करनेमें जाड़ेकी कोई कैद नहीं, हर मौसममें ये खाये जा सकते हैं । हम फिर कहते हैं, आप ठगोंके धोखेमें न आकर, इन दोनों चूर्णो को सेवन करें। भगवान् कृष्णकी दयासे आपकी मनोवाञ्छा पूरी होगी । दाम १ शीशीका २॥) रु० ।
हरिबटी। इन गोलियोंके सेवन करनेसे सब तरहकी संग्रहणी, अतिसार, ज्वरातिसार, रक्तातिसार, निश्चय ही, आराम हो जाते हैं। इन्हें हर गृहस्थ और मुसाफिरको सदा पास रखना चाहिये। समय पर बड़ा काम देती हैं । हजारों बार आजमाइश हो चुकी है । दाम १ शीशीका ।।)
नोट-अभी हाल ही में इन गोलियोंने एक पुराने ज्वर और प्रामातिसारसे मरणासन्न रोगिणोकी जान बचाई है, जिसे नामी-नामी डाक्टर त्याग चुके थे। इन गोलियोंसे दस्त तो पाराम हुए ही, पर किसी भी दवासे न उतरनेवाला, हर समय बना रहनेवाला ज्वर भी साफ़ जाता रहा । इन्हें केवल ज्वरमें न देना चाहिये । अगर घर और दस्तोंका रोग दोनों साथ हों तब देकर चमत्कार देखना चाहिये।
नपुंसक संजीवन बटी । - कलममें ताक़त नहीं, जो इन गोलियोंकी तारीफ कर सके। इनके सेवनसे नामर्द भी मर्द हो जाता है तथा प्रसंगमें खूब स्तम्भन होता है। शामको दो या चार गोलियाँ खा लेनेसे अपूर्व स्वर्गीय आनन्द आता है । बदनमें दूनी ताक़त उसी समय मालूम होती है। स्त्री-प्रसंगमें दूनी तेज़ी और डबल रुकावट होती है। साथ ही प्रमेह, शरीरका दर्द, जकड़न, गठिया, लकवा, बहुमूत्र, खाँसी और श्वासको भी ये गोलियाँ आराम कर देती हैं । जिन लोगोंको प्रमेह, बहुमूत्र, खाँसी और श्वासकी शिकायत हो, उन्हें ये गोलियाँ सवेरे-शाम दोनों समय खाकर मिश्री-मिला गरम दूध पीना चाहिये। भगवत्की दयासे अद्भुत चम
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