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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( ७ ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घोर अतिसार भी बात की बात में आराम हो जाता है। आज़मूदा दवा है । हर 'गृहस्थको एक शीशी पास रखनी चाहिये । दाम १ शीशीका || = ) कामदेव चूर्ण | 1 इस चूर्ण के लगातार २ महीने खानेसे धातु क्षीणता और नई नामर्दी आराम होती है । स्त्री-प्रसंग में अपूर्व आनन्द आता है । जिनकी स्त्रीइच्छा घट गई हो, स्त्री- प्रसंगको मन न चाहता हो, वे इस चूर्णको चुपचाप मन लगाकर २ मास तक खावें । इसके सेवन से उन्हें संसारका आनन्द फिरसे मिल जायगा । आजकल लोगोंने जो विज्ञापन दे रखे हैं, उनके धोखे में न फँसिये । वह कोरी धोखेबाजी है । जिन्हें एक अक्षर भी वैद्यकका नहीं आता, उन्होंने भोले लोगों को ठगनेके लिये खूब चमकीले भड़कीले विज्ञापन दे दिये हैं और आदमीको शेरसे कुश्ती करता दिखा दिया है । उनसे कहिये कि पहले आप शेरसे लड़कर हमें तमाशा दिखा दें, तब हम आपकी दवाके १०० गुने दाम देंगे । हमें धर्मका भय है, अतः मिथ्या लिखना बुरा समझते हैं । कोई भी धातु-पुष्टिकी दवा बिना ६० दिन के फ़ायदा नहीं कर सकती, क्योंकि आजकी खाई वाकी धातु ४० दिनमें बनती है। फिर दस-पाँच दिनमें धातु रोग कैसे चला जायगा ? आप इस चूर्णको मँगाकर प्रेमसे खाइये, मनोरथ पूरा होगा । दाम १ शीशीका २||) रु० । धातु-पुष्टिकर चूर्ण | इस चूर्ण के सेवन करने से पानी-जैसी पतली धातु कपूर के समान सफेद और खूब गाढ़ी हो जायगी । पेशाबके आगे या पीछे धातुका गिरना या सूत-सा निकलना बन्द हो जायगा । साथ ही स्त्री - प्रसंगकी खूब इच्छा होगी । अगर आप स्त्री-प्रसंग न करें और १२ महीने इसे खा लें तो निस्सन्देह आप सिंहसे दो-दो हाथ कर सकेंगे । आपकी उम्र पूरे १०० या १२० सालकी हो जायगी तथा आपका पुत्र सिंहके समान For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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