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- स्वास्थ्यरक्षा और चिकित्सा - चन्द्रोदय आदि ग्रन्थोंके लेखक, वयोवृद्ध बाबू हरिदासजीकी, तीस बरसकी हज़ारों बार आजमाई हुई, कभी भी फेल न होनेवाली आषधियाँ ।
आनन्दवर्द्धक चूर्ण |
( सिर्फ गरमी मौसममें मिलता है )
इस चूर्ण के सेवनसे तत्काल ही जो विचित्र तरी आती है, उसे यह बेचारी जड़ क़लम लिखकर बता नहीं सकती । यह अनेक शीतल, खुशबूदार और दिल-दिमाग़ में तरी लानेवाली दवाओंसे बनाया गया है । इसको नियमसे पीनेवालेको लूह लगने या हैजा होने का डर तो सुपने में भी नहीं रहता । इससे धातुपर तरी पहुँचती है । यह गर्म मिज़ाज़ यानी पित्त प्रकृतिके लोगोंको दस्त साफ़ लाता और भाँग पीनेवालोंको उष्ण वात (गरम वायु ) की बीमारी नहीं होने देता । औरतोंको इसके पिलाने से उनका मासिक-धर्म ठीक महीने में होने लगता है । यह खूनकी कमी - बेशीको ठीक करता और जिनका मासिक-धर्म गर्मीसे बन्द हो गया है, उनका मासिक-धर्म खोल देता है । भाँग पीनेवाले इसे भाँगमें मिलाकर पी सकते हैं, क्योंकि इसमें नमकीन चीजें नहीं हैं । रोगी इसे यदि.. घोटकर पिये, तो बिना परहेज रहनेसे भी आँखोंकी जलन, माथेकी घुमरी, चक्कर आना, आँखोंके सामने अँधेरा रहना, हाथ-पैरके तलवे जलना, दस्त - पेशाब जलकर होना, बदनका बिना बुखार गर्म रहना, नाक या मुँह से ख़ून जाना वग़ैरः गर्मी और उष्णवातकी ऊपर लिखी सारी शिकायतें रफ़ा हो जाती हैं। इसके समान शीतल दवा और
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