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चिकित्सा-चन्द्रोदय । . .. गरमीकी ऋतुमें छतपर, जाड़ेमें पटे हुए मकानमें और वर्षा-कालमें हवादार कमरे में सोना चाहिये, फूल-माला पहननी चाहिएँ और रूपवती स्त्रियोंसे मन प्रसन्न करना चाहिये, पर मैथुन न करना चाहिए ।
अपथ्य। .. जियादा दस्तावर दवा खाना, मल-मूत्र आदि वेग रोकना, मैथुन करना, पसीना निकालना, नित्य सुर्मा लगाना, बहुत जागना, अधिक मिहनत करना, बाजरा, ज्वार, चना, अरहर आदि रूखे अन्न खाना, एक खाना पचे बिना दूसरा खाना खाना, अधिक पान खाना, लहसन, सेम, ककड़ी, उड़द, हींग, लालमिर्च, खटाई, अचार, पत्तोंका साग, तेलके पदार्थ, रायता, सिरका, बहुत कड़वे पदार्थ, क्षार पदार्थ, स्वभाव-विरुद्ध भोजन, कुन्दरु और दाहकारी पदार्थ- ये सब पदार्थ भी अपथ्य हैं।
समाप्त
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सूचना-चिकित्सा-चन्द्रोदय छठे और सातवें भाग तैयार हैं। छठेका मूल्य ४) और सातवेंका ११) क्योंकि वह सबसे डबल है। उसमें १२१६ सके और ४० चित्र हैं।
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