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चौथा अध्याय ।
विष और उपविषोंकी RE विशेष चिकित्सा।
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स तरह अनेक प्रकारके विष होते हैं, उसी तरह मुख्यतया सात प्रकारके उपविष माने गये हैं।
कहा है-- अर्कक्षीरं स्नुहीक्षीरंलांगली करवीरकः ।
गुजाहिफेनी धत्तूरः सप्तोपविष जातयः ॥ आकका दूध, थूहरका दूध, कलिहारी, कनेर, चिरमिटी, अफ्रीम और धतूरा ये सात उपविष हैं।
ये सालों उपविष बड़े कामकी चीज़ हैं और अनेक रोगोंको नाश करते हैं; पर, अगर ये बेकायदे सेवन किये जाते हैं, तो मनुष्यको मार देते हैं। .. . .. नीचे, हम वत्सनाभ विष प्रभृति विष और उपरोक्त उपविषों तथा अन्य विष माने जाने योग्य पदार्थों का वर्णन, उनकी शान्तिके उपायों सहित, अलग-अलग लिखते हैं । हम इन विष-उपविषोंके चन्द प्रयोग या नुसने भी साथ-साथ लिखते हैं, जिससे पाठकोंको डबल लाभ हो । आशा है, पाठक इनसे अवश्य काम लेंगे और विष-पीड़ित प्राणियोंकी प्राण-रक्षा करके यश, कीर्ति और पुण्यके भागी होंगे।
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