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. चिकित्सा-चन्द्रोदय।
शोक-शोषकी चिकित्सा । शोक-शोषवालेका हर्ष बढ़ानेवाले और शोक मिटानेवाले पदार्थोंसे उपचार करो। उसे धीरज बँधाओ, दूध-मिश्री पिलाओ तथा चिकने, मीठे, शीतल, अग्निदीपक और हल्के भोजन दो ।
व्यायाम-शोषकी चिकित्सा । व्यायाम-शोषवालेको चिकने, शीतल, दाह-रहित, हितकारक, हल्के पदार्थ देने चाहियें। शोक, क्रोध, मैथुन, परनिन्दा, द्वेष-बुद्धि आदिको त्याग देने और शान्ति तथा सन्तोष धारण करनेकी सलाह देनी चाहिये । इस रोगीकी शीतल और कफ बढ़ानेवाले वृहण पदार्थोंसे चिकित्सा करनी चाहिये।
अध्वशोषकी चिकित्सा। ऐसे मनुष्यको उत्तम मुलायम आसन, गद्दी या पलँगपर बिठाना चाहिये, दिनमें सुलाना चाहिये, शीतल, मीठे और पुष्टिकारक अन्न और मांस-रस खानेको देने चाहियें।
व्रण-शोषकी चिकित्सा। इस रोगीको चिकने, अग्निको दीपन करनेवाले, मीठे, शीतल, जरा-जरा खट्ट' यूष और मांस-रस आदि खिला-पिलाकर चिकित्सा करनी चाहिये।
उरःक्षतमें पथ्यापथ्य । । उरःक्षत-रोगीके पथ्यापथ्य ठीक व्यायाम शोषकी चिकित्सा लिखे अनुसार हैं।
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