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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ~~~~ ~~~~~ ~~~~~~ ~ क्षय-रोगपर प्रश्नोत्तर। ६२६ भलोंको क्षय हो जाता है । हाँ, गायका दूध कच्चा कभी न पिलाना चाहिये, औटाकर पिलाना चाहिये। शुक्रजन्य क्षयरोगीको दूध-घी, मांस-रस या शोरवा अथवा शतावर आदिके साथ बनाये पदार्थ या दूध आदि हितकर हैं । जिसे शोकसे क्षय हुआ हो उसे मीठे, ठण्डे, चिकने दूध वगैरः पदार्थ देने चाहिएँ । उसको तसल्ली देनी चाहिये और ऐसी बातें कहनी चाहिए, जिनसे उसका दिल खुश हो । क्षयवालेको उसका दाह शान्त करने, ताक़त लाने और कफ नाश करनेके लिये आगे लिखा हुआ 'षडंग यूष" देना चाहिए। अध्वशोष (राह चलनेसे हुए शोष ) वाले रोगीको ठण्डी, मीठी और पुष्टिकारक दवाएँ और पथ्य देने चाहिए। उसे दिनमें सुलाना और हर तरह आराम देना चाहिए । क्षय-रोगीको, आम तौरपर, गेहूँका दलिया, गेहूँ के दरदरे आटेके फुलके, जौका आटा, साँठी चाँवल, घी, दूध, मक्खन, बकरेके मांसका शोरवा, बथुएकी तरकारी, कमलकी जड़, तोरई, हरा कर्दू , पुराने चाँवलोंका भात, पुराने गेहूँकी खमीर उठायी रोटी, जौकी पूरी, कालीमिर्चोंके साथ पकाया मिश्री-मिला गायका दूध पिलाना चाहिए और आसानीसे पच जानेवाली खानेकी चीजें रोगीको देना अच्छा है । साबूदाना, अरारूद, मैलिन्सफूड आदि पथ्य हलके होते हैं । बहुत ही कमजोरको यही देने चाहिएँ । जंगली पक्षियों और हिरन आदिका मांस-रस, हल्की शराब, बकरीका घी, जौका माँड, मूंगका जूस और बकरके मांसका शोरवा विशेष हितकर है । यह शोरवा, जुकाम, सिरदर्द, खाँसी, स्वास, स्वरभंग और पसलीकी पीड़ा-क्षय-सम्बन्धी छहों विकारोंके शान्त करने में बहुत अच्छा समझा जाता है। बहुत-सी उपयोगी बातें हमने “यक्ष्मा-चिकित्सामें याद रखनेयोग्य बातें" शीर्षकके अन्तर्गत लिखी हैं। उन सबपर रोगी और चिकित्सकको खूब ध्यान देना चाहिये। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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