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क्षय-रोगपर प्रश्नोत्तर।
प्र०-क्षयरोगके और नाम क्या हैं ?
उ०-क्षयरोगको संस्कृतमें क्षय, यक्ष्मा, शोष और रोगराज कहते हैं।
हिकमतमें इसे तपेदिक और सिल कहते हैं।।
डाक्टरीमें इसे कनजमशन (Consumption', थाइसिस (Pthisis) और टूबरक्लोसिस ( Tuberculcsis ) कहते हैं।
प्र०--क्षयके ये नाम क्यों ? ___ उ०-इस रोगमें, शरीरका रोज-ब-रोज़ क्षय होता है; अथवा यह शरीरकी रस-रक्त आदि धातुओंको क्षय करता है अथवा यह रोग वैद्योंकी चिकित्साका क्षय करता है। इसलिये इसे "क्षय" कहते हैं।
यह रोग पहले किसी सोम या चन्द्र नामके राजाको हुआ था, इसलिये इसे "राजयक्ष्मा" कहते हैं।
राजाओंके आगे-पीछे अनेक लोग चोबदार मुसाहिब वगैरः चलते हैं; उसी तरह इसके साथ भी अनेक रोग चलते हैं, इसलिये इसे "रोगराज" कहते हैं।
यह रस आदि सात धातुओंको सुखाता है। इसलिये इसे "शोष" कहते हैं।
कनज़मशनका अर्थ भी क्षय है। इस रोगसे शरीर छीजता है। फेंफड़ोंकी नाशकारिणी शक्ति जल्दी-जल्दी या धीरे-धीरे तरक्की करती है, इसलिये इसे अँगरेजीमें थाइसिस और कनजमशन कहते हैं । इसको टूबरक्लोसिस इसलिये कहते हैं, कि एक टूबरकिल
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