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अरुषिका-चिकित्सा ।
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अरुषिका-चिकित्सा।
HOT9% फ, खून और कीड़ोंके प्रकोपसे, सिरमें, अनेक मुँहवाली
क और अत्यन्त क्लेदयुक्त व्रण या फुन्सियाँ होती हैं । इनको * * ही अरुषिका कहते हैं। बोल-चालकी भाषामें इन्हें “वराही" कहते हैं।
चिकित्सा। (१) जौंक लगाकर सिरका खराब खून निकाल दो।
(२) माठा और सेंधानोनके काढ़ेसे सिरको बारम्बार धोओ। इसके बाद कोई लेप करो।
(३) परवल, नीम और अड़ सा--इनके पत्ते पीसकर लेप करो ।
(४) मिट्टोके ठीकरेमें कूटको भूनकर पीस लो। फिर उसे तेल में मिलाकर लेप कर दो। इससे खुजली, क्लेद, दाह और पीड़ा सब नाश हो जाते हैं। ___ (५) दारुहल्दी, हल्दी, चिरायता, नीमकी छाल, अड़ सेके पत्ते
और लालचन्दनका बुरादा-सबको बराबर-बराबर लेकर, सिलपर पीसकर लुगदी बना लो । लुगदीसे चौगुना काली तिलीका तेल और तेलसे चौगुना पानी मिलाकर तेल पका लो। तेल मात्र रहनेपर उतारकर छान लो। इस तेलके लगानेसे अरुषिका, दाह, जलन, मवाद, दर्द तथा अन्य जगहके घाव, फोड़े, फुन्सी जड़से आराम हो जाते हैं। ऐसा कोई चर्म रोग ही नहीं है, जो इस तेलके लगातार लगानेसे आराम न हो । हजारों रोगी आराम हुए हैं। परीक्षित है।
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