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चिकित्सा-चन्द्रोदय । सेंहुआ, दाद और मुंहकी झाँई-ये सब रोग नाश हो जाते हैं। यह दवा राजाओंके लायक है।
3 -00- 000 ॐ मुहासोंकी चिकित्सा ।
-00 -00- 0 वात, कफ और खूनके कोपसे, जवानीमें मुँहपर जो सेमलके काँटोंके समान फुन्सियाँ होती हैं, उन्हें बोलचालकी ज़बानमें "मुहासे"
और संस्कृतमें “मुखदूषिका” कहते हैं । इनसे खूबसूरत चेहरा बदसूरत दीखने लगता है । बहुत लोग इस रोगकी दवा तलाश किया करते हैं, अतः हम नीचे मुहासे-नाशक दवाएँ लिखते हैं:_ "तिब्बे अकबरी” और “इलाजुलगुर्बा" आदि हिकमतके ग्रन्थोंमें लिखा है:--
(१) सररूकी फस्द खोलो। (२) जुलाब देकर, शीतल दवाओंका लेप करो । आयुर्वेद-ग्रन्थोंमें लिखा है:-- मुहासे, न्यच्छ, व्यङ्ग और नीलिका इनको नीचेके उपायोंसे दूर करोः
( १ ) शिरावेधन करो-फस्द खोलो। (२) लेप और अभ्यञ्जनादिसे काम लो।
मुहासे-नाशक नुसखे । (१) अमलताशके वृक्षकी छाल, अनारकी छाल, लोध, आमाहल्दी और नागरमोथा,-इन सबको बराबर-बराबर लेकर महीन पीस लो। फिर इसे पानीमें मिलाकर, नित्य, मुंहपर मला करो और सूखनेपर धो डाला करो।
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