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चिकित्सा-चन्द्रोदय। कमलसे ही भ्र णके साँस लेनेका काम होता है। (३) कमल ही भ्रूणके रक्त-शोधक यंत्रका काम करता है ।
जिस तरह बच्चेका पोषण कमलके द्वारा होता है, उसी तरह उसके श्वासोच्छ्वासका काम भी कमल द्वारा ही होता है ।
गर्भका वृद्धि-क्रम । तीन-चार सप्ताहके गर्भकी लम्बाई तिहाई इच और भार सवासे डेढ़ माशे तक होता है। परिमाण चींटीके समान होता है। मुखके स्थानपर एक दरार और नेत्रोंकी जगह दो काले तिल होते हैं।
छै सप्ताहका गर्भ- इसकी लम्बाई आध इचसे एक इंच तक और बोझ तीनसे ५ माशे तक होता है। सिर और छाती अलग अलग दीखते हैं। चेहरा भी साफ दीखता है। नाक, आँख, कान
और मुँहके छेद बन जाते तथा हाथों में उँगलियाँ निकल आती हैं। कमल बनना भी आरम्भ हो जाता है।
दो मासका गर्भ-इसकी लम्बाई डेढ़ इचके क़रीब और भार आठसे बीस माशे तक । नाक, होठ और आँखें दीखती है; परन्तु भ्र ण लड़का है या लड़की, यह नहीं मालूम होता । मलद्वार, फुफ्फुस और सीहा आदि दीखते हैं।
तीन मासका गर्भ-इसकी लम्बाई टाँगोंको छोड़कर दो-तीन इंच और भार अढ़ाई छटाँकके करीब होता है। सिर बहुत बड़ा होता है । अँगुलियाँ अलग-अलग दीखती हैं । भग-नासा या शिश्न भी नज़र आते हैं; अतः कन्या है या पुत्र, इस बातके जाननेमें सन्देह नहीं रहता।
चार मासका गर्भ-इसकी लम्बाई साढ़े तीन इंचके करीब और टाँगोंको मिलाकर छै इचके लगभग। सिरकी लम्बाई कुल शरीरकी लम्बाईसे चौथाई होती है। गर्भका लिंग साफ़ दीखता है। नाखून बनने लगते हैं। कहीं-कहीं रोएँ दीखने लगते हैं और हाथ-पाँव कुछ-कुछ हरकत करने लगते हैं।
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