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नर-नारीकी जननेन्द्रियोंका वर्णन । दशामें स्त्री एक साथ या थोड़ी देरके अन्तरसे दो बच्चे जनती है। कभी-कभी दो शुक्रकीटोंका एक डिम्बसे मेल हो जाता है, तब जो बालक पैदा होता है, उसके आपसमें जुड़े हुए दो शरीर होते हैं। ऐसे बालक बहुधा बहुत दिन नहीं जीते।
शुक्रकीट और डिम्बका संयोग बहुधा डिम्ब-प्रनाली में होता है, पर कभी-कभी गर्भाशयमें भी हो जाता है। इन दोनोंके मेलको ही गर्भाधान होना कहते हैं; और इन दोनोंके मेलसे जो चीज़ बनती है, उसे ही गर्भ कहते हैं।
_ नाल क्या चीज है ? भ्रूण, गर्भ या बच्चा गर्भाशयकी दीवारसे एक रस्सी द्वारा लटका रहता है। इस रस्सीको ही नाल या नाभिनाल कहते हैं। क्योंकि नाल एक तरफ़ भ्र ण या बच्चेकी नाभिसे लगा रहता है और दूसरी
ओर गर्भाशय-कमलसे । नाभिनाल उतना ही लम्बा होता है, जितना कि भ्रूण या बच्चा । कभी-कभी यह बहुत लम्बा या छोटा भी होता है।
कमल किसे कहते हैं ? उस स्थानको जिससे भ्र ण नाल द्वारा लटका रहता है, “कमल" कहते हैं । कमल सामान्यतः गर्भाशयके गात्रमें या तो ऊपरकी ओर या उसकी अगली-पिछली दीवारोंमें बनता है। कभी-कभी यह गर्भाशयके भीतरी मुखके पास भी बन जाता है, यह अच्छा नहीं। इससे बच्चा जनते समय अधिक खून जानेसे जच्चाकी जान जोखिममें रहती है। यह कमल तीसरे महीनेमें अच्छी तरह बन जाता है । कमलके ये काम हैं:
(१) कमल भ्रूणको धारण करता और इसके द्वारा भ्रूण माताके शरीरसे जुड़ा रहता है।
(२) कमल द्वारा ही भ्रणका पोषण होता है।
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