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नर-नारीकी जननेन्द्रियोंका वर्णन । ५३६ ____ दो आर्तव या मासिक-धर्मों के बीचमें २८ दिनका अन्तर रहता है। किसी-किसीको एक या दो दिन कम या जियादा लगते हैं। बहुधा तीन या चार दिन तक रजःस्राव होता है। किसी-किसीको एक दिन और किसीको जियादा-से-ज़ियादा छै दिन लगते हैं। छ दिनोंसे अधिक रजःस्राव होना या महीने में दो बार होना रोग है। इस दशामें इलाज करना चाहिये।
मैथुन । मैथन, केवल सन्तान पैदा करनेके लिये है, पर विधाताने इसमें एक अनिर्वचनीय आनन्द रख दिया है। इससे हर प्राणी इसे करना चाहता है और इस तरह जगदीशकी सृष्टि चलती रहती है। ___ मैथुन करनेसे पुरुषका शुक्र या वीर्य स्त्रीकी योनिमें पहुँचता है । जब ठीक विधिसे मैथुन किया जाता है, तब लिंगकी सुपारी योनिकी दीवारोंसे रगड़ खाती है। इस रगड़का असर नाड़ियों द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचता है । इस समय स्त्री और पुरुष दोनोंको बड़ा आनन्द आता है।
योनिकी दीवारें एक श्लेष्ममय रससे भीगी रहती हैं। बहुतसे अनजान इसे स्त्रीका वीर्य समझ लेते हैं। पर इस तर पदार्थमें सन्तान पैदा करनेकी सामर्थ्य नहीं होती। यह खाली योनिकी दीवारोंको गीली रखता है, जिससे लिंगकी रगड़से योनिकी श्लेष्मिक कलाको नुक़सान न पहुँचे। ___ जब सुपारी गर्भाशयके मुंहसे मिल जाती है, तब स्त्रीको बहुत ही जियादा आनन्द आता है। अगर सुपारी या शिश्नमुण्ड गर्भाशयके पास न पहुँचे या उससे रगड़ न खाय, तो मैथुन व्यर्थ है। स्त्रीको ज़रा भी आनन्द नहीं आता। जब सुपारी और गर्भाशयके मुख मिलते हैं, तब वीर्य बड़े जोरसे निकलता और गर्भाशयके मुंहके
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