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चिकित्सा-चन्द्रोदय । कमर, कूल्हों और पेड़ में भारीपन होता है। बाज़ी स्त्रियोंका मिजाज चिड़चिड़ा हो जाता है । जो अमीरीकी वजहसे मोटी हो जाती हैं, जिनको क़ब्ज़ और अजीर्ण रहता है, जो जोश दिलानेवाली पुस्तकेंलण्डन-रहस्य या छबीली भटियारी प्रभृति पढ़ती हैं या ऐसी बातें सुनती और करती हैं, उनके पेड़ , कमर और कूल्होंमें बड़ी वेदना होती और उनके हाथ-पैर टूटा करते हैं। ___ इस गरम देशकी स्त्रियोंको बारह या चौदह सालकी उम्रमें रजोधर्म होने लगता है। किसी-किसीको बारह वर्षके पहले ही होने लगता है। यूरोप आदि शीतप्रधान देशोंकी स्त्रियोंको चौदह-पन्द्रह सालकी उम्र में रजोदर्शन होता है। जिन घरोंकी लड़कियाँ खाती तो बढ़िया-बढ़िया माल हैं और काम करती हैं कम तथा जो पतिसंग या विवाह-शादीकी बातें बहुत करती रहती हैं, उन्हें रजोदर्शन जल्दी होता है। गरीब घरोंकी कमजोर और रोगीली लड़कियोंको रजोदर्शन देर में होता है। __बारह या चौदह सालकी उम्रसे रजोधर्म होने लगता और ४५ या ५० सालकी उम्र तक होता रहता है । जब गर्भ रह जाता है, तब रजोधर्म नहीं होता। जब तक स्त्री गर्भवती रहती है, रजोधर्म बन्द रहता है । जो स्त्रियाँ अपने बच्चोंको दूध पिलाती हैं, वे बच्चा जननेके कई महीनों तक भी रजस्वला नहीं होती । ४५ और ४६ सालके दान रजोधर्म होना स्वभावसे ही बन्द हो जाता है । जब तक स्त्री रजस्वला होती रहती है, उसे गर्भ रह सकता है । कभी-कभी रजोदर्शन होनेके पहले और रजोदर्शन बन्द होनेके बाद भी गर्भ रह जाता है।
आर्तव निकलनेके दिनोंमें स्त्रीकी बाक़ी जननेन्द्रियोंमें भी कुछ फेर-फार होता रहता है। डिम्ब-प्रन्थि, डिम्ब-प्रनालियाँ और योनि अधिक रक्तमय हो जाती हैं और उनका रङ्ग गहरा हो जाता है। गर्भाशय भी कुछ बढ़ जाता है।
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