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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-पैर जारी होनेका इलाज। ५२५ एक माशेकी टिकियाँ बना लो । इनमेंसे २।३ टिकियाँ खानेसे खून बन्द हो जाता है।
(२५) गायके पाँच सेर दूधमें एक पाव चिकनी सुपारी पीसकर मिला दो और औटाओ । जब औट जाय, उसमें आधसेर चीनी डाल दो और चाशनी करो । फिर छोटी माई ५॥ माशे, बड़ी माई ५२॥ माशे, पकी सुपारीके फूल १०५ माशे, धायके फूल १०५ माशे और ढाकका गोंद १० तोले-इन सबको महीन पीसकर कपड़-छन कर लो । जब चाशनी शीतल होने लगे, इस छने चूर्णको उसमें मिला दो और चूल्हसे उतारकर साफ़ बर्तनमें रख दो। मात्रा २० माशेसे ६० माशे तक । इस सुपारी-पाकके खानेसे योनिसे नदीके समान बहता हुआ खून भी बन्द हो जाता है ।
विज्ञापन । नीचे हम स्थानाभावसे चन्द कभी भी फेल न होनेवाली रामवाण-समान अव्यर्थ और अक्रतीरका काम करनेवाली तीस सालकी परीक्षित औषधियोंके नाम और दाम लिखते हैं। पाठक अवश्य परीक्षा करके लाभान्वित हों और देखें कि, भारतीय जड़ी-बूटियोंसे बनी हुई दवाएं अँगरेजी दवाओंसे किसी हालतमें कम नहीं हैं:
(१) हरिवटी-कैसा भी अतिसार, प्रामातिसार, रक्तातिसार और ज्वरातिसार क्यों न हो, दस्त बन्द न होते हों और ज्वर बड़ी-बड़ी डाक्टरी दवाओंसे भी क्षण-भरको विश्राम न लेता हो,--इन गोलियोंकी २ मात्रा सेवन करते ही अपूर्व चमत्कार दीखता है । दाम ॥) शीशी । हर गृहस्थ और वैद्यको पास रखनी चाहिये।
(२) शिरशूल-नाशक चूर्ण-कैसा ही घोर सिर-दर्द क्यों न हो, इस चूर्णकी १ मात्रा खानेसे १५ मिनटमें सिरदर्द का.फूर हो जाता है। दवा नहीं जादू है । ८ मात्राका दाम १) रु।
(३) नारायण तैल--हाथ-पैरोंका दर्द, जोड़ोंकी पीड़ा, गठिया, पसलियोंका दर्द, अङ्गका सूनापन, लकवा, फालिज, एक अङ्ग सूना हो जाना, पित्ती निकलना, मोच आना वग़रः-वगरः अस्प्ली तरहके वायु-रोग इस तेलसे श्राराम होते हैं । जाड़ेमें इसकी मालिश करानेसे शरीर हृष्ट-पुष्ट और बलिष्ट होता है.बदनमें चुस्ती-फुर्ती श्राती है। हर गृहस्थ और वैद्यके पास रहने योग्य है। दाम १ पावका ३) रु० ।
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