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चिकित्सा-चन्द्रोदय । .. कुमारिकारसलेंपो हरिद्रारज सान्वितः ।।
कवोष्णः स्तनशोथस्य नाशनः सर्वसम्मतः ॥ घीग्वारके पीठेके रसमें हल्दीका चूर्ण डालकर गरम कर लो। फिर सुहाता-सुहाता स्तनोंकी सूजनपर लेप कर दो । इससे सूजन फौरन उतर जायगी।
(५) कर्कोटक और जटामाँसीको पीसकर स्तनोंपर लेप करनेसे जादू की तरह आराम होता है।
(६) निबौलियोंके तेलके समान और कोई दवा स्तनपाक मिटानेवाली नहीं है। यानी स्तन पकते हों, तो उनपर निबौलियोंका तेल चुपड़ो । कहा है--
स्तनपाकहरं निम्बतैलतुल्यं न चापरम् । (७) अगर बालक स्तनोंको दाँतोंसे काटता हो, तो चिरायता पीसकर स्तनोंपर लगा दो।
नोट-स्तन-पीड़ा नाशक और नुसख' "चिकित्सा-चन्द्रोदय" दूसरे भागके पृष्ठ ४२८-४३० में देखिये ।
दुग्ध-चिकित्सा । स्त्रीका दूध वातादि दोषोंके कुपित होनेसे दूषित हो जाता है। अगर बचा दूषित दूध पीता है, तो बीमार हो जाता है।
- वात-दूषित दूधके लक्षण । अगर दूध पानीमें डालनेसे पानीमें न मिले, ऊपर तैरता रहे और कसैला स्वाद हो, तो उसे वायुसे दूषित समझो।
पित्त-दूषित दृधके लक्षण । ... अगर दूधमें कड़वा, खट्टा और नमकीन स्वाद हो तथा उसमें
पीली रेखा हों, तो उसे पित्त-दूषित समझो।
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