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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-प्रसूतिका-चिकित्सा। ५१५ छान लो । यह उत्तम चूर्ण है । इस चूर्णके बजानुसार, उचित मात्रामें दहीदूधके साथ लगातार कुछ दिन खाने से स्तनोंमें खूब दूध आता और वे कठोर भी हो जाते हैं।
(४) गायका घो, भैसका घी, काली तिलीका तेल, काली निशोथ, कृताञ्जली, बच, सोंठ, गोलमिर्च, पीपर और हल्दी-इन दसों दवाओंको एकत्र पीसकर कुछ दिन नस्य लेनेसे एकदमसे गिरे हुए स्तन भी उठ आते हैं।
(५) बच्चा जननेके बादके पहले ऋतु-कालमें, चाँवलोंके पानी या धोवनकी नस्य लेनेसे गिरे हुए ढीले स्तन उठ आते और कठोर हो जाते हैं।
यह नस्य ऋतुकालके पहले दिनसे १६ दिन तक सेवन करनी चाहिये। एक-दो दिनमें लाभ नहीं हो सकता । विद्यापतिजी भी यही बात कहते हैं:
आर्तवस्नानादिवसात् षोडषाहं निरंतरम् ।
तण्डुलोदकनस्येन काठिन्यं कुचयोः स्थिरम्॥ जिस दिनसे स्त्री रजस्वला हो, उस दिनसे सोलह दिन तक बराबर चाँवलोंके धोवनकी नस्य ले, तो उसके गिरे हुए स्तन कठोर और पुष्ट हो जायँ।
(६) भैसका नौनी घी, कूट, खिरेंटी, बच और बड़ी खिरेंटी इन सबको पीसकर स्तनोंपर लगानेसे स्तन कठोर और पुष्ट हो जाते हैं ।
बढ़े हुए पेटको छोटा करने का उपाय । (७) पीपरोंको महीन पीस-छानकर, मथित नामक माठेके साथ पीनेसे चन्द रोजमें प्रसूताकी कुक्षि या कोख दब या घट जाती है।
(८) माधवीकी जड़ महीन पीस-छानकर, मथित-माठेके साथ पीनेसे कुछ दिनों में प्रसूताका पेट छोटा और कमर पतली हो जाती है।
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