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चिकित्सा-चन्द्रोदय ।
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स्तन कठोर करने के उपाय।
श्रीपर्णीकी छालके कल्क और उसीके पत्तोंके स्वरसके साथ तेल पकाकर, शीशी में रख लो। इस तेलमें एक साफ़ कपड़ा भिगो-भिगोकर, एक महीने तक, स्तनोंपर बाँधनेसे स्त्रियोंके गिरे हुए ढीले-ठाले स्तन पुष्ट और कठोर हो जाते हैं । कहा है:
श्रीपर्णीरसकल्काभ्यांतैलंसिद्ध तिलोद्भवम् । तत्तलं तूलकेनैव स्तनस्योपरि दापयेत् ।
पतितावुत्थितौस्यातामंगनायाः पयोधरौ ॥ नोट-श्रीपर्णी-अरनी या गनियारीको कहते हैं। पर कई टीकाकारों ने इसका अर्थ विजौरा या शालिपर्णी लिखा है । कह नहीं सकते, यह कहाँ तक ठीक है। यह नुसखा चक्रदत्त, वृन्द और वैद्य-विनोद प्रभुति अनेक ग्रन्थों में मिलता है। यद्यपि हमने परीक्षा नहीं की है, तथापि उम्मीद है कि, यह सोलह आने कारगर हो । जब इसे बनाना हो, श्रीपर्णीकी छाल लाकर, सिलपर पीसकर, कल्क बना लो और इसीके पत्तोंको पीसकर स्वरस निचोड़ लो। जितनी लुगदी हो उससे दूना स्वरस और स्वरससे दूना तेल-काले तिलोंका तेल-लेकर कलईदार, बर्तनमें रखकर, मन्दी-मन्दी श्रागसे पका लो और छानकर शीशीमें रख लो । फिर ऊपर लिखी विधिसे इसमें कपड़ा तर कर-करके नित्य स्तनोंपर बाँधो ।
(२) चूहेकी चरबी, सूअरका मांस, भैसका मांस और हाथीका मांस-इन सबको मिलाकर, स्तनोंपर मलनेसे स्तन कठोर और पुष्ट हो जाते हैं।
(३) कमलगट्टे की गरीको महीन पीस-छानकर, दूध-दहीके साथ पीनेसे खूब दूध आता और बुढ़ापेमें भी स्तन कठोर हो जाते हैं।
नोट--कमलगट्टोंको रातके समय, पानी में भिगो दो और सवेरे ही चाकूसे उनके छिलके उतार लो । भीगे हुए कमलगट्टोंके छिलके आसानीसे उतर आते हैं। छिलके उतारकर, उनके भीतरकी हरी-हरी पत्तियोंको निकालकर फेंक दो। क्योंकि वह हानि कारक होती हैं । इसके बाद उन्हें खूब सुखाकर, कूट-पीस और
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