________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५१२
चिकित्सा-चन्द्रोदय ।
wwwww
ग़रीबी नुसखे । (१०) पद्ममूल, मोथा, गिलोय, गन्धाली, सोंठ और बालाइनके काढ़ेमें ६ माशे शहद मिलाकर पीनेसे सूतिका ज्वर और वेदना नाश हो जाते हैं।
(११) सोंठ, काकड़ासिंगी और पीपरामूल-इनको एकत्र मिलाकर सेवन करनेसे प्रसतिका ज्वर और वात रोग नष्ट हो जाते हैं।
(१२) दशमूलके काढ़ेमें पीपलोंका चूर्ण डाल और कुछ गरम करके पीनेसे बढ़ा हुआ प्रसूतिका रोग भी शान्त हो जाता है।
(१३) हींग, पीपर, दोनों पाढ़ल, भारङ्गी, मेदा, सोंठ, रास्ना, अतीस और चव्य इन सबको मिलाकर पीस-कूट-छान लो। इसके सेवन करनेसे योनिका शूल मिटकर योनि नर्म हो जाती है । ___ (१४ ) बेल और भाँगरेकी जड़ोंको सिलपर पानीके साथ पीसकर, मदिराके साथ पीनेसे योनि-शूल तत्काल नाश हो जाता है।
(१५) इलायची और पीपर-बराबर-बराबर लेकर पीस-छान लो। इसमें थोड़ा-सा कालानोन डालकर मदिराके साथ, पीनेसे योनि-शूल नाश हो जाता है। . (१६) बिजौरे नीबूकी जड़, मोतियाकी जड़, बेलगिरी और नागरमोथा--इनको एकत्र पीसकर लेप करनेसे प्रसूताका शिरोरोग नाश हो जाता है।
(१७) सोंठ, मिर्च, पीपर, पीपरामूल, देवदारु, चव्य, चीता, हल्दी, दारुहल्दी, हाऊबेर, सफेद जीरा, जवाखार, सेंधानोन, कालानोन और कचियानोन, इनको बराबर-बराबर लेकर, सिलपर जलके साथ पीसकर, गरम जलके साथ लेनेसे सुखसे पाखाना हो जाता है।
(१८) पंचमूलका काढ़ा बनाकर, उसमें सेंधानोन डालकर सुहातासुहाता पीनेसे सूतिका रोग नाश हो जाता है।
For Private and Personal Use Only