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चिकित्सा-चन्द्रोदय ।
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तिलका तेल मिलाकर, उसे योनिके भीतर रखने या लेप करनेसे स्त्री सुखसे बच्चा जनती है।
(४६) कलिहारीकी गाँठ पानीमें पीसकर अपने हाथपर लेप कर लो। जिस स्त्रीको बच्चा जननेमें कष्ट हो, उसके हाथको अपने लेप लगे हुए हाथसे छूओ अथवा उस गाँठमें धागा पिरोकर स्त्रीके हाथ या पैरमें बाँध दो। इस उपायसे बालक सुखसे हो जाता है । परीक्षित है।
(४७ ) केलेकी गाँठ कमरमें बाँधो। इसके बाँधनेसे फौरन बच्चा होगा। ज्योंही बच्चा और जेर निकल चुके, गाँठको खोलकर फेंक दो। परीक्षित है। . (४८) गेहूँकी सेमई पानीमें उबालो । फिर कपड़ेमें छानकर पानी निकाल लो। आध सेर सेमईके पानीमें आध पाव ताज़ा घी मिला लो। इसमेंसे थोड़ा-थोड़ा पानी स्त्रीको पिलाओ । ज्योंही पेट दुखना शुरू हो, यह पानी देना बन्द कर दो। जल्दी और सुखसे बच्चा जनानेको यह उपाय उत्तम और परीक्षित है।
(४६) कड़वे नीमकी जड़ स्त्रीकी कमरमें बाँधनेसे तुरन्त बच्चा हो जाता है। बच्चा हो चुकते ही जड़को खोलकर फेंक दो। परीक्षित है। ___ (५०) काकमाचीकी जड़ कमरमें बाँधनेसे सहजमें बालक हो जाता है। परीक्षित है।
( ५१ ) कसौंदीकी पत्तियोंका रस स्त्रीको पिलानेसे सुखसे बालक हो जाता है । परीक्षित है।
नोट-संस्कृतमें कासमर्द और हिन्दीमें कसौदी कहते हैं । इसके पत्तोंका रस कानमें डालनेसे कानमें घुसा हुअा डाँस या मच्छर मर जाता है।
(५२) तूम्बीकी पत्ती और लोध-इनको बराबर-बराबर लेकर, पीस लो और योनिपर लेप कर दो। इससे शीघ्र ही बालक हो जाता है । परीक्षित है।
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