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चिकित्सा-चन्द्रोदय ।
आठवें महीनेका एक दिन बीतने बाद और बारहवें महीनेके अन्त तक बालकके जन्मका समय है। बारहवें महीनेके बाद, कोखमें वायु द्वारा रोका हुआ गर्भ, विकारोंका कारण होता है।
बच्चा होनेके २४ घण्टों पहलेके लक्षण ।
जब ग्लानि हो, कोख और नेत्र शिथिल हों, थकान हो, नीचेके अंग भारी-से हों, अरुचि हो, प्रसेक हो, पेशाब बहुत हो, जाँघ, पेट, कमर, पीठ, हृदय, पेड़ और योनिके जोड़ों में पीड़ा हो, योनि फटती-सी जान पड़े, योनिमें शूल चलें, योनिसे पानी आदि झिरें, जननेके समयके शूल चलें और और अत्यन्त पानी गिरे, तब समझो कि बालक आज ही या कल होगा; यानी ये लक्षण होनेसे २४ घण्टोंमें बच्चा हो जाता है । देखा है, बच्चा होनेमें अगर २४ घण्टोंसे कमीकी देर होती है, तो पेशाब बारम्बार होने लगते हैं, दर्द जोरसे चलते हैं और पानीसे धोती तर हो जाती है । पानी और जरा-सा खून आनेके थोड़ी देर बाद ही बच्चा हो जाता है। . सूचना-गर्भवतीको गर्भावस्थामें क्या कर्तव्य
और क्या अकर्तव्य है, उसे पथ्य क्या और अपथ्य क्या है, पेटमें लड़का है या लड़की, गर्भिणीकी इच्छा पूरी करना परमावश्यक है, गर्भमें बच्चा क्यों नहीं रोता, किस महीने में गर्भके कौन-कौन अङ्ग बनते हैं, इत्यादि गर्भिणी-सम्बन्धी सैकड़ों बातें हमने अपनी लिखी "स्वास्थ्यरक्षा" नामक सुप्रसिद्ध घुस्तकमें विस्तारसे लिखी हैं। चूँ कि "चिकित्सा. चन्द्रोदय" का प्रत्येक खरीदार “स्वास्थ्यरक्षा" अवश्य खरीदता है; इससे हम उन बातोंको यहाँ फिर
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