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चिकित्सा-चन्द्रोदय । छिलका राखके रङ्गका होता है, पर भीतरसे सफ़ेद गिरी निकलती है। इसे संस्कृतमें कण्टक करञ्ज, हिन्दीमें करना या करंजुश्रा, बँगलामें काँटा करज और अँगरेज़ीमें बोंडकनट कहते हैं।
(८) कुहरबा यशमई और दरुनज अकरबी गर्भिणीकी कमरमें बाँध देनेसे गर्भ नहीं गिरता।
(E) कँवारी कन्याके काते हुए सूतसे गर्भिणीको सिरसे पाँवके नाखून तक नापो। उसी नापके २१ तार ले लो। फिर काले धतूरेकी जड़ लाकर, उसके सात टुकड़े कर लो और हर टुकड़ेको उस तारमें अलग-अलग बाँध दो। फिर उस जड़ बंधे हुए सूतको स्त्रीको कमरमें बाँध दो । हर्गिज़ गर्भ न गिरेगा।
(१० ) गर्भिणीके बायें हाथमें जमुर्रदकी अँगूठी पहना देनेसे खून बहना या गर्भ-स्राव-गर्भ-पात होना बन्द हो जाता है ।
(११) खतमीके बीज और मुल्तानी मिट्टीको “मकोयके रसमें" पीसकर, योनिमें लगा देनेसे गर्भ नहीं गिरता और भगकी जलन और
खुजली मिट जाती है। . (१२) भीमसेनी कपूर, अर्क गुलाबमें पीसकर, भगमें मलनेसे गर्भ गिरना बन्द हो जाता है।
(१३ ) गूलरकी जड़ या जड़की छालका काढ़ा बनाकर गर्भिणीको पिलानेसे गर्भ-स्राव या गर्भ-पात बन्द हो जाता है।
नोट-अगर गर्भिणीको भूख न लगती हो, तो बड़ी इलायची २ माशे • कन्दमें मिलाकर खिलानो।
(१४) गर्भिणीकी कमरमें अकेला “कुहरबा" बाँध देनेसे गर्भ नहीं गिरता।
इसी कुहरबेको गलेमें बाँधनेसे कमल-वायु प्राराम हो जाता है और छातीपर रखनेसे प्लेग या ताऊन भाग जाता है ।
(१५) अगर गर्भ चलायमान हो, तो गायके दूधमें कच्चे गूलर • पकाकर पीने चाहिये। ..
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