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४०४ .. चिकित्सा-चन्द्रोदय । खिलाकर, तब ऊपरका काढ़ा पिलाने से जल्दी रजोधर्म होता है। ऐसी रोगिणीको उड़द, दूध, दही और गुड़ प्रभुति हित हैं। इनका ज़ियादा खाना अच्छा । रूखे पदार्थ न खाने चाहिये । यह नं० १ नुसखा परीक्षित है। - (२) माल-काँगनी, राई, * विजयसार-लकड़ी और दूधियाबच--इन चारोंको बराबर-बराबर लेकर और कूट-पीसकर कपड़ेमें छान लो। इसकी मात्रा ३ माशेकी है। समय-सवेरे-शाम है। अनुपान--शीतल जल या शीतल-कच्चा दूध है। . नोट--भावप्रकाशमें "शीतेन पयसा" लिखा है । इसका अर्थ शीतल जल
और शीतल दूध दोनों ही है। पर हमने बहुधा शीतल जलसे सेवन कराकर लाभ उठाया है । याद रखो, गरम मिज़ाजवाली स्त्रीको यह चूर्ण फायदा नहीं करता । गरम मिज़ाजकी स्त्रीको खून बढ़ानेवाले दूध, घी, मिश्री या अनार प्रभृति खिलाकर खून बढ़ाना और योनिमें नीचे लिखे नं. ३ की बत्ती रखनी चाहिये । मासिकधर्म न होनेवालीको मछली, काले तिल, उड़द और सिरका प्रभृति हितकारी हैं । गरम प्रकृति होनेसे माहवारी खून सूख जाता है; तब वह स्त्री दुबली हो जाती है, शरीरमें गरमी लखाती है एवं खूनकी कमीके और लक्षण भी दीखते हैं । इस दशामें खून बढ़ानेवाले पदार्थ खिलाकर औरतको पुष्ट करना चाहिये, पीछे मासिक खोलनेकी चेष्टा करनी चाहिये।
(६) कड़वी तूम्बीके बीज, दन्ती, बड़ी पीपर, पुराना गुड़, मैनफल, सुराबीज और जवाखार--इन सबको बराबर-बराबर लेकर पीस-छान लो। फिर इस चूर्णको "थूहरके दूध" में पीसकर छोटी अँगुलीके समान बत्तियाँ बनाकर छायामें सुखा लो। इनमेंसे एक बत्ती रोज़ गर्भाशयके मुख या योनिमें रखनेसे मासिक-धर्म खुल जाता है। परीक्षित है। ... नोट--नं० २ नुसखा खिलाने और इस बत्तीको योनिमें रखने से, ईश्वरकी दयासे, सात दिनमें ही रजोधर्म होने लगता है । अनेक बार परीक्षा की है। अगर खून सूख गया हो, तो पहले खून बढ़ाना चाहिये। अनार खिलाना बहुत मुफीद
® भावप्रकाशमें माल काँगनीके पत्त, सजोखार, विजयसार और बच,-ये चार दवाएँ लिखी हैं।
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