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नष्टार्तव-चिकित्सा। ६ बन्द हुए रजोधर्मकी चिकित्सा।
मासिम
रजोधर्मसे लाभ । HONEY सारकी सभी स्त्रियाँ हर महीने रजस्वला होती हैं। यानी नव हर महीने, उनकी योनिसे रज या एक प्रकारका खून
PRGE रिस-रिसकर निकला करता है। इसीको रजोधर्म होना, मासिक-धर्म होना या रजस्वला होना कहते हैं। यह रजोधर्म स्त्रियों में बारह वर्षकी अवस्थाके बाद प्रारम्भ होता और पचास सालकी उम्र तक होता रहता है । वाग्भट्ट महोदय कहते हैं:
मासि मासि रजः स्त्रीणां रसजं स्रवति व्यहम् ।
वत्सरावादशादृवं याति पंचाशतः क्षयम् ।। - महीने-महीने स्त्रियोंके रससे रज बनता है और वही रज, तीन दिन तक, हर महीने उनकी योनिसे झरता है। यह रजःस्राव या रजोधर्म बारह वर्षकी उम्रसे ऊपर होने लगता और पचास सालकी उम्र तक होता रहता है। इसके बाद नहीं होता; यानी बन्द हो जाता है। ____ यह रजका गिरना तीन दिन तक रहता है, पर जिस रहम या गर्भाशयसे यह रज या आर्तव अथवा खून निकलकर बाहर बहता है, वह सोलह दिनों तक खुला रहता है। इसीसे ऋतुकाल सोलह दिनका माना गया है। इसी ऋतुकालके समय, स्त्री-पुरुषके परस्पर मैथुन करनेसे गर्भ रह जाता है । मतलब यह कि इसी ऋतुकालमें गर्भ रहता है । गर्भ रहने के लिये स्त्रीका रजस्वला होना जरूरी है, क्योंकि रज गिरनेके लिये गर्भाशयका मुंह खुल जाता है और वह सोलह दिन तक खुला रहता है । इस समय, मैथुन करनेसे, पुरुषका वीर्य गर्भा
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