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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-बाल उड़ानेके नुसखे। ३८६ (१४) कनेरकी जड़, दन्ती और कड़वी तोरई-इन सबको पीसकर, केलेके खार द्वारा तेल पकाओ। यह तेल बाल गिराने में उत्तम है । इसे “करवीराद्य तैल” कहते हैं।
(१५) शंखकी राख ६ माशे, हरताल ४॥ माशे, मैनसिल २। माशे और सज्जीखार ४॥ माशे, इनको जलमें पीसकर बालोंपर लगाओ और बालोंको उखाड़ो। सात बार लगानेसे बालोंकी जड़ ही नष्ट हो जाती है। ___(१६) बिना बुझा चूना और हरताल,-दोनोंको बराबर-बराबर लेकर बालोंपर मलो। चूना जियादा होगा तो जल्दी लाभ होगा; यानी बाल जल्दी गिरेंगे। कोई-कोई इसमें थोड़ी-सी अण्डेकी सफेदी भी मिलाते हैं। इसके मिलानेसे जलन नहीं होती।
(१७) जली सीप, जली गच और हरताल मिलाकर लगानेसे बाल उड़ जाते हैं।
नोट-"तिब्बे अकबरी'में लिखा है,-गुप्त स्थानके बाल न गिराने चाहिए। इससे हानि हो सकती है और काम-शक्ति तो कम हो ही जाती है। गुप्त स्थानके बाल छुरे या उस्तरेसे मूंडनेसे लिङ्ग पुष्ट होता और काम-शक्ति बढ़ती है । इसके सिवा और भी अनेक लाभ होते हैं ।
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सचित्र वैराग्य-शतक देखिये।
मूल्य ५) .
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