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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-प्रदर रोग । ३५१ (३५) लाल पूगीफल-सुपारी, माजूफल, रसौत, धायके फूल, मोचरस, चौलाईकी जड़ और गेरू,-इनको बराबर-बराबर लाकर, पीस-छान लो। इसमेंसे ६ माशेसे १ तोले तक चूर्ण, हर रोज, चाँवलोंके धोवनके साथ, पीनेसे प्रदर रोग चला जाता है। इस नुसनेके उत्तम होने में सन्देह नहीं ।
(३६) चौलाईकी जड़को चाँवलोंके पानीके साथ पीसकर, उसमें “रसौत और शहद" मिलाकर पीनेसे सारे प्रदर रोग अवश्य नाश हो जाते हैं । परीक्षित है ।
नोट-रसौत और चौलाईकी जड़को, चाँवलोंके पानीमें पीसकर और शहद मिलाकर पीनेसे समस्त प्रकारके प्रदर नाश हो जाते हैं। चक्रदत्त ।
( ३७ ) मुँइ-आमलोंकी जड़, चाँवलोंके धोवनमें पीस-छानकर, पीनेसे दो-तीन दिनमें ही प्रदर रोग चला जाता है ।
नोट- इ-अामलोंके बीज ऊपरकी तरह चाँवलोंके धोवनमें पीस-छानकर पीनेसे प्रदर रोग, लिङ्गसे खून जाना और उल्वण रक्कातिसार ये आराम हो जाते हैं।
(३८) काला नोन, सफ़ेद जीरा, मुलहटी और नील-कमल, इनको पीस-छानकर दहीमें मिलाओ; और ज़रा-सा "शहद मिलाकर पी जाओ। इस योगसे वात या बादीसे हुआ प्रदर रोग आराम हो जाता है।
नोट-नील-कमल न मिले तो 'नीलोफर' ले सकते हो। चारों चीजें डेढ़-.. डेढ़ माशे, दही चार तोले और शहद आठ माशे लेना चाहिये।
(३६) हिरनके खून में शहद और चीनी मिलाकर पीनेसे पित्तज प्रदर रोग आराम हो जाता है।
(४०) बाँसे या अड़ सेका स्वरस पीनेसे पित्तज प्रदर रोग आराम हो जाता है।
(४१) गिलोय या गुर्चका स्वरस भी पित्तज प्रदर रोगको नष्ट करता है । यह नुसना पित्तज-प्रदरपर अच्छा है।
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