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चिकित्सा-चन्द्रोदय। ( २६) दारुहल्दीको सिलपर पीसकर लुगदी बना लो। इस लुगदी या कल्कमें शहद मिलाकर पीनेसे श्वेत प्रदर आराम हो जाता है।
(३०) नागकेशरको पीसकर और माठा या छाछमें मिलाकर ३ दिन पीनेसे श्वेत प्रदर आराम हो जाता है। केवल माठा पीनेसे ही श्वेत प्रदर जाता रहता है। परीक्षित है।
(३१ ) चाँवलों की जड़को चाँवलोंके धोवनमें औटाकर, फिर उसमें "रसौत और शहद मिलाकर पीनेसे सब तरहके प्रदर रोग नाश हो जाते हैं, इसमें शक नहीं । परीक्षित है।
(३२) कुशाकी जड़ लाकर, चाँवलोंके धोवनमें पीसकर, तीन दिन तक, पीनेसे लाल-प्रदर से निश्चय ही छुटकारा हो जाता है। परीक्षित है।
नोट- यह नुसता वृन्द, चक्रदत्त और वैद्यविनोद सभी ग्रन्थों में लिखा है।
( ३३ ) रसौत और लाखको बकरीके दूधमें मिलाकर पीनेसे रक्त-प्रदर अवश्य चला जाता है । परीक्षित है।
(३४) चूहेकी मैंगनी दहीमें मिलाकर पीनेसे रक्त प्रदर अवश्य नाश हो जाता है । परीक्षित है । कहा है:
दध्ना मूषकविष्ठां च लोहिते प्रदरे पिबेत् । बंगसेनमें भी लिखा है:
आखोः पुरीषं पयसा निषेव्यं वह्वेर्बलादेकमहद्वर्यहंवा । स्त्रियो महाशोणितवेगनद्याः क्षणेन पारं परमाप्नुवन्ति ॥
चूहेकी विष्ठाको, दूधके साथ, अग्निवलानुसार, एक या दो दिन तक, सेवन करनेसे नदीके वेगक समान बहता हुआ .खून भी क्षण-भग्में बन्द हो जाता है।
और भी--चूहेकी मैंगनीमें बराबरकी शक्कर मिलाकर रख लो। इसमेंसे ६ माशे चूर्ण, गायके धारोष्ण दूधके साथ पीनेसे सब तरहके प्रदर-रोग फौरन आराम हो जाते हैं।
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