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चिकित्सा-चन्द्रोदय । (१८) गूलर, पीपर, पारस-पीपल, बड़ और पाखर--इन पाँचों दूधवाले पेड़ोंकी छालोंका काढ़ा करके शीतल कर लो और इससे मकड़ीके विषसे हुए घाव और फुन्सी आदिको धोओ। बहुत जल्दी लाभ होगा।
(१६) कत्था २ तोले, कपूर १ तोले और सिन्दूर ६ माशे- इन तीनोंको महीन पीसकर बारीक कपड़ेमें छान लो और १००. बार धुले घी या मक्खनमें मिला दो। इस मक्खनसे मकड़ीके घाव, फुन्सी और सूजन आदि सब नष्ट हो जाते हैं। बड़ी ही उत्तम मरहम है। परीक्षित है।
(२०) चौलाईका साग पानीमें पीसकर लगानेसे मकड़ीका विष शान्त हो जाता है।
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