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चिकित्सा-चन्द्रोदय। जब सन्देह होता है, तब इस उपायसे काम लेते हैं। कुत्ते आदिके विषपर इस तरह परीक्षा करनेकी बात कहीं लिखी नहीं देखी।
हिकमतसे प्रारम्भिक उपाय। "तिब्बे अकबरी" वगैरः हिकमतके ग्रन्थों में बावले कुत्तेके काटनेपर नीचे लिखे उपाय करनेकी सलाह दी गई है:- (१) बावले कुत्तेके काटते ही, काटी हुई जगहका खून निचोड़. कर निकाल दो अथवा घावके गिर्द पछने लगाओ। मतलब यह, कि हर तरहसे वहाँके दूषित रुधिरको निकाल दो, क्योंकि खूनको निकाल देना ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है। सींगी लगाकर खून-मिला जहर चूसना भी अच्छा है।
(२) रोगीके घावको नश्तर वगैरःसे चीरकर चौड़ा कर दो, जिससे दूषित तरी आसानीसे निकल जाय । घावको कम-से-कम ४० दिन तक मत भरने दो। अगर घावसे अपने-आप बहुत-सा खून निकले, तो उसे बन्द मत करो। यह जल्दी आराम होनेकी निशानी हैं।
(३) रोगीको पैदल या किसी सवारीपर बैठाकर खूब दौड़ाओ, जिससे पसीने निकल जायँ; क्योंकि पसीनोंका निकलना अच्छा है, पसीनोंकी राहसे विष बाहर निकल जाता है।
(४) अगर भूलसे घाव भर जाय, तो उसे दोबारा चीर दो और उसपर ऐसी मरहम या लेप लगा दो, जिससे विष तो नष्ट हो, पर घाव जल्दी न भरे । इस कामके लिये नीचे के उपाय उत्तम हैं:___(क ) लहसन, प्याज और नमक-तीनोंको कूट-पीसकर घावपर लगाओ। । (ख) लहसन, जाबशीर, कलौंजी और सिरका--इनका लेप करो।
(ग) राल १ भाग, नमक २ भाग, नौसादर २ भागऔर जाबशीर ३ भाग ले लो। जाबशीरको सिरकेमें मिलाकर, उसीमें राल, नमक
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