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बावले कुत्तेके काटेकी चिकित्सा ।
बावले कुत्ते के काटे हुएकी परीक्षा । . बहुत बार, अँधेरेकी वजहसे या ऐसे ही और किसी कारणसे, काटनेवाले कुत्तेकी सूरत और हालत मालूम नहीं होती, तब बड़ी दिक्कत होती है। अगर काटता है पागल कुत्ता और समझ लिया जाता है अच्छा कुत्ता, तब बड़ी भारी हानि और धोखा होता है। जब हड़कवाय हो जाती है-मनुष्य कुत्तेकी तरह भौंकने लगता है; पानीसे डरता या काँच और जलमें कुत्तेकी सूरत देखता है-तब फिर प्राण बचनेकी आशा बहुत ही कम रह जाती है, इसलिये हम हिकमतके ग्रन्थोंसे, बावले कुत्तेने काटा है या अच्छे कुत्तेने-इसके परीक्षा करनेकी विधि नीचे लिखते हैं। फौरन ही परीक्षा करके, चटपट इलाज शुरू कर देना चाहिये। अच्छा हो, अगर पहले ही बावला कुत्ता समझकर आरम्भिक या शुरूके उपाय तो कर दिये जायँ और दूसरी ओर परीक्षा होती रहे।
परीक्षा करनेको विधि । (१) अखरोटकी मींगी कुत्ते के काटे हुए घावपर एक घण्टे तक रखो। फिर उसे वहाँसे उठाकर मुर्गेके सामने डाल दो। अगर मुर्गा उसे न खाय या खाकर मर जाय, तो समझो कि बावले कुत्तेने काटा है।
(२) एक रोटीका टुकड़ा कुत्तेके घावके बलराम या तरीमें भरकर कुत्तोंके आगे डालो। अगर कुत्ते उसे न खायँ या खाकर मर जाय, तो समझो कि बावले कुत्तेने काटा है।
(३) रोगीको करौंदेके पत्ते पानीमें पीसकर पिलाओ। जिसपर विषका असर न होगा, उसे क़य न होंगी; पर जिसपर विषका असर होगा, उसे तय होंगी। अफीम और धतूरे आदिके विषोंके सम्बन्धमें
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